Breaking Newsअन्य ख़बरेंछत्तीसगढधर्मनई दिल्लीपश्चिम बंगालबिहारमध्यप्रदेशमहाराष्ट्रमुंबईरायपुर

Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2024: कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी आज, विघ्नहर्ता श्रीगणेशजी के साथ इनकी भी पूजा का है विधान

Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2024: कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता की पूजा करने का विधान है। इनके बिना व्रत अधूरा रहता है वैसे भी संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय काफी देर से होता है इसी वजह से व्रती को चंद्रमा के उदित होने की बहुत प्रतीक्षा होती है । इस बार संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी मंगलवार को होने से अंगारकी रूप में विशेष पुण्यफलदायनी मानी है।

Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2024: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है इस दिन गणेश जी के साथ चंद्रदेव की पूजा का विधान है। मां शारदा देवी धाम मैहर के प्रख्यात वास्तु एवं ज्योतिर्विद पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करने का विधान
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करने का विधान है। हर माह में एक संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है उस दिन गणेश जी के साथ चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। इनके बिना व्रत अधूरा रहता है वैसे भी संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय काफी देर से होता है इसी वजह से व्रती को चंद्रमा के उदित होने की बहुत प्रतीक्षा होती है। इस बार संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी मंगलवार को होने से अंगारकी रूप में विशेष पुण्यफलदायनी मानी जाएगी।

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी में जो भी मनुष्य सच्चे मन से व्रत रखकर भगवान श्रीगणेश की पूजा विधि विधान से करता है गणेश जी उसके संकटों को दूर करते हैं जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करते हैं कार्य में सफलता देते है । गणेश जी विघ्नहर्ता है वह अपने भक्तों को किसी संकट में नहीं छोड़ते मान्यता है इस दिन गणेश जी का पूजन करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैंं।

यह विशेष दिन गणेश जी की पूजा आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखना और गणेश जी की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है जीवन के सभी प्रकार की बाधायो से मुक्ति मिलती है और घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है ।

पंडित द्विवेदी बताते है कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जून के मध्यरात्रि के बाद 2:46 से शुरू हो जाएगी यह तिथि 25 जून की मध्यरात्रि रात 12:51बजे समाप्त होगी उदय तिथि के आधार पर आषाढ़ माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 25 जून को रखा जाएगा ।

संकष्टी चतुर्थी में योग
पंडित द्विवेदी ने बताया कि संकष्टी चतुर्थी वाले दिन चंद्रमा का भ्रमण सुबह से लेकर दोपहर बाद 4:37 बजे तक श्रवण नक्षत्र में है । इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:05 से 4:45 तक, अभिजीत मुहूर्त दिन 11:56 से दोपहर 12:52 तक है, संकष्टी चतुर्थी के दिन चौघडियों के अनुसार चर सामान्य मुहूर्त सुबह 8:54 से 1039 तक, लाभ उन्नति मुहूर्त 1039 से 12:24 तक दोपहर, और अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12:24 से 2:09 तक है।

रात में 10:00 के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं
25 जून को जो लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे वह रात में 10:00 के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं उस रात चंद्रोदय रात्रि 10:00 पर होगा। संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र देव को अर्घ्य दिए बिना पूरा नहीं होगा क्योंकि गणेशजी से चंद्रदेव को आशीर्वाद मिला है।

Upendra Pandey

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button