विश्व के सबसे ऊंचे बड़े बाबा मंदिर में 15 फीट लंबा और नौ फीट चौड़ा कलशारोहण
कुंडलपुर में आचार्य श्री समय सागर जी महाराज का चातुर्मास हो इस भावना के साथ कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के पदाधिकारी सदस्यों ने बड़ी संख्या में श्रीफल अर्पित कर निवेदन किया ।108 गाड़ी बसे लेकर सागर से आए श्रद्धालुओं ने श्रीफल अर्पित कर सागर में चातुर्मास के लिए निवेदन किया। 21 बस लेकर देवरी बीना बारहा से आए श्रद्धालुओं ने चातुर्मास हेतु निवेदन किया।
कुंडलपुर दमोह:- सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र, जैन तीर्थ कुंडलपुर में 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर विश्व के सबसे ऊंचे 189 फीट बड़े बाबा मंदिर में 15 फीट लंबा और नौ फीट चौड़ा कलशारोहण किया गया है। कलश में 1200 किलो तांबा और 10 किलो सोने की परत चढ़ाई गई है। पूज्य बड़े बाबा जिनालय एवं दाएं-बाएं के जिनालय पर कलशारोहण की क्रिया प्रारंभ हुई।
मुनि संघ के साधुओं ने चंदन से स्वास्तिक बनाया, लोगों में होड़ मच गई
स्वर्ण कलश के ऊपरी भाग पर आचार्य श्री समय सागर जी महाराज एवं मुनि संघ के साधुओं ने चंदन से स्वास्तिक बनाया। फिर तो लोगों में स्वास्तिक बनाने की होड़ मच गई। कलश के ऊपरी भाग को एवं कलशारोहण कर्ताओं को क्रेन के द्वारा ऊपर मंदिर के शिखर पर पहुंचाया गया । प्रतिष्ठाचार्य सम्राट ब्रह्मचारी विनय भैया ने कलशारोहण की क्रियाएं संपन्न कराईं। जिन सूर्य संत शिरोमणि युग श्रेष्ठ आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य विद्या शिरोमणि आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के चतुर्विध संघ के मंगल सानिध्य में आयोजित बड़े बाबा जिनालय कलशारोहण एवं स़हस्त्रकूट जिनालय जिनबिम्ब वेदी प्रतिष्ठा महा महोत्सव के अवसर पर अभिषेक,शांति धारा नित्यमह पूजन हुई।
श्रीफल अर्पित कर सागर में चातुर्मास के लिए निवेदन किया
शाहगढ़ ,दलपतपुर ,जबलपुर भोपाल ,अजमेर, नरसिंहपुर गोटेगांव, गढ़ाकोटा ,पथरिया केसली सहित अनेक नगरों से आए श्रावकों ने अपने-अपने नगरों में मुनि संघ के चातुर्मास के लिए निवेदन किया। दोपहर में श्रुत पंचमी पर्व धूमधाम से मनाया गया आचार्य संघ के सानिध्य में अनेक धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हुए। परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज ने कहा साक्षात तीर्थंकरों का दर्शन आज संभव नहीं है किंतु तीर्थंकरों की वाणी को आत्मसात करते हुए आत्म कल्याण करते हुए मोक्षमार्गियों को मार्ग प्रशस्त किए हैं।
विश्व कल्याण की भावना तीर्थंकरों में है, वही भावना गुरुदेव में रही
आचार्य श्री समय सागर जी महाराज बोले- चतुर्विध संघ के नायक हैं वह उन्होंने जो मार्ग प्रशस्त किया है 50 -55 साल में जो प्रभावना की है उस प्रभावना का कथन करने के लिए हम लोगों के पास शब्द नहीं है। अभूतपूर्व प्रभावना उन्होंने की है। उन्होंने जो कार्य किया है विश्व कल्याण की भावना तीर्थंकरों में हुआ करती है। वही भावना गुरुदेव में रही फल स्वरुप विशाल संघ का दर्शन आप लोग कर रहे हैं।
पहाड़ के ऊपर नीचे मिलकर 62 जिनालय उनका दर्शन उनकी वंदना की
सन 1976 में आचार्य महाराज संघ सहित कुंडलपुर आए यहां का वातावरण देखा पहाड़ के ऊपर नीचे मिलकर 62 जिनालय उनका दर्शन उनकी वंदना की। उसमें हम भी शामिल थे और उस समय क्षुल्लक अवस्था थी। वातावरण कैसा था उसका वर्णन भी हम नहीं कर पाएंगे किंतु उस समय जो कुंडलपुर का रूप था वर्तमान में जो आप लोग गगन को छूने वाले उत्तंग शिखर के साथ बड़े बाबा जिनालय का दर्शन भारतवर्ष के नहीं देश-विदेश के लोग यहां आकर के बड़े बाबा का दर्शन करते हैं। उनको लगता होगा यह सपना तो मैं नहीं देख रहा हूं।
उस परिकल्पना को उन्होंने साकार रूप दिया
ऐसा अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिलता। ऐसा सारा का सारा कार्य यह जो परिकल्पना उनकी रही है अद्भुत परिकल्पना है और उस परिकल्पना को उन्होंने साकार रूप दिया है और उनके हृदय के जो उदगार हैं उन उद्गारों को सुनकर के बुंदेलखंड के जो उनके अनन्य भक्त रहे उनके लिए आशीर्वाद जो उनका मिला है उसके फल स्वरुप ऐसी ऊर्जा प्रस्फुटित हुई है जिसके फल स्वरुप उनकी परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है।
सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में इसी प्रकार भव्य जिनालय का निर्माण
आचार्य महाराज ने कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र को विशाल बनाने के लिए जो निर्माण उनका मंगलमय आशीर्वाद रहा है उनका पूरा-पूरा मार्गदर्शन रहा उनका निर्देशन रहा बीच-बीच में संकेत देते गए इतना ही नहीं जिस प्रकार सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में जिनालय जो निर्मित हुआ है इसी प्रकार से सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में इसी प्रकार भव्य जिनालय का निर्माण उनके आशीर्वाद से संपन्न हुआ।
रामटेक व डोंगरगढ़ चंद्रगिरी का भी निर्माण हुआ
अमरकंटक सर्वोदय इसके नाम से जाना जाने लगा है वहां पर भी इसी प्रकार से भव्य पाषाण का जिनालय निर्माण हुआ। और कहां-कहां रामटेक देख लो डोंगरगढ़ चंद्रगिरी उसका भी निर्माण उनके माध्यम से हुआ है ।इस प्रकार हजारों हजार साल के लिए जो पाषाण के जिनालय का निर्माण हुआ है और उसकेदर्शन के माध्यम से लाखों करोड़ जनता ने सम्यक दर्शन की उपलब्धि की है। सम्यक दर्शन के माध्यम से महत्वपूर्ण कारण आगम में स्वीकार किया है।
जबलपुर में भी पूर्णायु आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण
चिकित्सा के क्षेत्र में सामने आदर्श प्रस्तुत किया है। सागर में भाग्योदय का निर्माण उनके माध्यम से हुआ है इसी प्रकार जबलपुर में भी पूर्णायु आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण होने जा रहा है चिकित्सा के क्षेत्र में इतना कार्य हुआ। इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो आदर्श प्रस्तुत किया है शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिभास्थली का निर्माण किया है और प्रतिभा मंडल का निर्माण हुआ है। 25 साल पूर्ण हो चुके हैं सारी बहनें बाल ब्रह्मचारी के रूप में है कितनी बहनों ने दो-दो प्रतिमा लेकर निर्दोष पालन कर रही हैं। छात्राएं भी हजारों की संख्या में उनको संस्कारित करते हुए प्रतिभास्थली को आगे और बढ़ा रही है।