क्या देवेंद्र फडणवीस होंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री..? महायुति के नेताओं की दिल्ली में अमित शाह के साथ बैठक आज
मुंबई :- महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सवाल का जवाब आज मिल सकता है। दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ महायुति के बड़े नेताओं की बैठक होने जा रही है।
माना जा रहा है कि आज देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनाने जाने पर मुहर लग जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे सीएम थे, जबकि देवेंद्र फडणवीस उनके डिप्टी के रूप में काम कर रहे थे।
एकनाथ शिंदे छोड़ चुके दावा, मराठा फैक्टर अहम
- चुनाव परिणाम में शानदार प्रदर्शन के बाद एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग शिवसेना खेमे में उठी थी। शिवसेना नेताओं का कहना था कि चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया है और इसलिए जनता ने उन्हें दिल खोलकर आशीर्वाद दिया है।
- हालांकि, बाद में शिंदे ने साफ किया कि वे इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का फैसला स्वीकार करेंगे। माना जा रहा है कि इस तरह शिंदे ने सीएम की कुर्सी से अपना दावा हटा लिया है।
- वहीं, अमित शाह यह जानना चाहते हैं कि सीएम फैसले के मराठा फैक्टर पर कितना असर पड़ेगा। यही कारण है कि आज की बैठक से एक दिन पहले उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की।
2 दिसंबर को हो सकता है शपथ ग्रहण समारोह
महाराष्ट्र में 2 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। यह भव्य आयोजन वानखेड़े स्टेडियम में कराने की प्लानिंग बन रही है। शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही भाजपा और एनडीए के शीर्ष नेता शामिल होंगे। भाजपा और एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी बुलाए जाएंगे।
यूबीटी को कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने का नुकसान: अंबादास दानवे
इस बीच, उद्धव ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) धड़े के नेताओं की बैठक बुलाई और चुनाव में हुए शर्मनाक प्रदर्शन की समीक्षा की। बैठक के बाद यूबीटी नेता अंबादास दानवे ने कहा, शिवसेना (यूबीटी) के अलग चुनाव लड़ना था। महाराष्ट्र विधानसभा में महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस और शरद पवार एनसीपी) के साथ चुनाव लड़ने का नुकसान उद्धव ठाकरे की पार्टी को हुआ है।
30 फीसदी आबादी मराठा
महाराष्ट्र में 30 फीसदी आबादी मराठा है। ऐसे में भाजपा सोच-समझकर फैसला लेना चाहती है। पार्टी नहीं चाहती कि किसी भी स्थिति में मराठा समाज को गलत संदेश जाए। यदि ऐसा हुआ तो उद्धव ठाकरे और शरद पवार को इसका फायदा उठाने का मौका मिल जाएगा।