आरक्षक भर्ती प्रक्रिया: हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी से अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में
बिलासपुर :- छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में वर्ष 2017-18 में आरक्षक के 2259 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। तत्कालीन सरकार द्वारा फिजिकल और रिटर्न टेस्ट पास करने वाले उम्मीदवारों को चयनित किया गया। परंतु सत्ता परिवर्तन के बाद भर्ती प्रक्रिया में नियम बदल दिए गए, जिसके चलते अभ्यर्थियों को दूसरी बार कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ा। इस प्रक्रिया में सफल होने के बावजूद 464 उम्मीदवारों को अभी तक नियुक्ति नहीं मिली है। गृह विभाग ने उन्हें प्रतीक्षा सूची में डाल दिया है। आदेश जारी होने की प्रतीक्षा में अब कई उम्मीदवारों की आयुसीमा भी समाप्त होने के कगार पर है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच और डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के खिलाफ फैसला सुनाते हुए चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके, राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। हाई कोर्ट के आदेशों की अनदेखी के कारण सरकार को अवमानना याचिका का सामना करना पड़ रहा है।
अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उम्मीदवार, कैविएट याचिका दायर
इस बीच, उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्हें आशंका है कि राज्य सरकार हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की है।
सत्ता परिवर्तन के बाद बदली भर्ती प्रक्रिया
कांग्रेस शासन के दौरान भर्ती प्रक्रिया में सिर्फ 1500 मीटर की दौड़ थी, जिसे अभ्यर्थियों ने पास कर लिया। सत्ता बदलने पर भाजपा सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए दौड़ के साथ ऊंची और लंबी कूद जैसी परीक्षाओं को जोड़ा। इसके बाद अभ्यर्थियों ने फिजिकल और रिटर्न टेस्ट पास कर लिया, लेकिन 2038 पदों की ही चयन सूची जारी की गई। शेष 221 पदों को रिजर्व रखा गया और 464 उम्मीदवारों को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया।
अवमानना मामले में कोर्ट ने मांगा जवाब
अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिसमें राज्य सरकार से आदेशों की अवहेलना पर जवाब मांगा गया। कोर्ट ने पूछा कि चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है, साथ ही विस्तृत जानकारी भी मांगी गई है।