प्रकाश के पंच दिवसीय महापर्व का शुभारंभ आज धनतेरस से … जानें जबलपुर में क्या हैं पूजन के शुभ मुर्हूत
जबलपुर :- वैदिक हिंदू सनातन धर्म व जीवन-शैली में प्रकाश का पंच दिवसीय महापर्व अतीव महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका मंगलवार को धनतेरस के साथ मंगलमय शुभारंभ होगा। सनातनी शुभ मुर्हूत में धरतेरस का पूजन करेंगे। नगरीय व उपनगरीय बाजारों के प्रतिष्ठानों से रिकार्ड खरीदी होगी। इसके साथ ही आने वाले दिनों में क्रमश: नरक चतुदर्शी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की चातुर्दिक धूम होगी।
प्रभु राम के स्वागत में दीप प्रज्जवलित कर उत्सव मनाया था
उल्लेखनीय है कि भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में सारे अयोध्यावासी इस दिन पूरे नगर को अपने राजा प्रभु राम के स्वागत में दीप प्रज्जवलित कर उत्सव मनाया था। इसी कारण से तब से यह परम्परा चली आ रही है।
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व
इस दिन शाम और रात के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। धनतेरस दीपावली का पहला दिन माना जाता है। इसके बाद नरक चतुर्दशी फिर दीपावली, गोवर्धन पूजा और आखिर में भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है।
प्रमुख तिथियां और शुभ मुहूर्त
शुभ धनतेरस- 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धनतेरस जिसे धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती भी कहते हैं। पांच दिवसीय दीपावली का पहला दिन होता है। धनतेरस के दिन से दिवाली का त्योहार प्रारम्भ हो जाता है।
भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे
मान्यता है इस तिथि पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे। इसी कारण से हर वर्ष धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परम्परा निभाई जाती है। जो भी व्यक्ति धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन, जमीन-जायजाद की शुभ खरीदारी करता है उसमें तेरह गुना की बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस बार मंगलवार, 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार है।
धनतेरस 29 अक्टूबर, 2024 दिन, मंगलवार
धनतेरस का शुभ मुहूर्त : भौम प्रदोष के साथ प्रातः 10-50 बजे से लेकर दोपहर 1-30 बजे तक
धनतेरस पर शुभ खरीदारी की अवधि : दोपहर 03-00 बजे से लेकर 4-30 बजे तक
नरक चतुर्दशी-2024….मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा
इस वर्ष नरक चतुर्दशी का त्योहार 30 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह धनतेरस के बाद मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है। जैसे, नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि।
दीपावली से पहले छोटी दिवाली भी कहा जाता
दीपावली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। इस दिन शाम को गोधूलि मुहूर्त में घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है।
तेल मालिश का समय (अभ्यंग) सुबह 06:06:05 बजे से 06:34:57 बजे तक।
हनुमत ध्वज दान-दोपहर -01-30 बजे से 02-15 तक
यमदीपदान -रात्रि 7-46 बजे से 09-10 मिनट के मध्य
दीपावली- 2024….महापर्व दीपावली और महालक्ष्मी पूजा…
31 अक्टूबर, 2024 को पूरे देश और विदेश में मनाया जाएगा। दीपावली को प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन करने का विधान है।
दीपावली पर घरों को रोशनी से सजाया जाता है
दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान प्तगणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना की जाती है। मान्यता है कि दीपावली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किसका घर साफ-सुथरा है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है। माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं। दीपावली पर लोग सुख-समूद्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं।
दीपावली लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त :
दीपावली और लक्ष्मी पूजा तिथि- गुरुवार, 31 अक्टूबर, 2024
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त-
गोधूली मुहूर्त- 17:34:09 बजे से 18:10:27 बजे तक।
वृषभ लग्न काल : 19:10:28 बजे से 21:06:18 बजे तक।
दीपावली महानिशीथ काल मुहूर्त :
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 23:38:52 बजे से 24:30:58 बजे तक।
महानिशीथ काल : 23:38:52 बजे से 24:30:58 बजे तक।
सिंह लग्न काल : 25:30:14 बजे से 27:30:43 बजे तक।
दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त :
सायं 04:30:25 बजे से 06:00:30 बजे तक।
अन्नकूट गोवर्धन पूजा -02 नवंबर 2024 को
तीन नवंबर 2024 -भाईदूज, चित्रगुप्त पूजन, यमुना स्नान।