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होम लोन लिया है तो ध्‍यान रखें ये बात, इन्फ्लेशन का क्‍या होता है असर

मुद्रास्फीती या इन्फ्लेशन का होम लोन की दरों पर गहरा असर होता है, क्योंकि इससे लोन की लागत और हाउसिंग मार्केट दोनों प्रभावित होते हैं। आमतौर पर आरबीआई आर्थिक विकास के दौरान दरों को कम कर देता है, जब जीडीपी विकसित हो रहा हो और मुद्रास्फीती की दर स्थिर हो। इससे लोन लेने वालों के लिए ब्याज की दर कम हो जाती है और लोन अधिक किफ़ायती हो जाता है।

अतुल मोंगा, बेसिक होम लोन के सीईओ और सह-संस्थापक के अनुसार वहीं दूसरी ओर जब मुद्रास्फीती या इन्फ्लेशन बढ़ता है, तो आरबीआई अधिक सख्त रूख अपनाता है और बेंचमार्क दरें बढ़ जाती है। इससे लोन की लागत बढ़ती है और लोन महंगा हो जाता है।

आरबीआई ने फरवरी 2024 के बाद से रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। अतुल मोंगा का कहना है कि इस तरह यह स्पष्ट है कि आरबीआई इन्फ्लेशन पर नियन्त्रण रखते हुए आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर फोकस कर रहा है।
इस फैसले से होम लोन लेने वालों को राहत मिली (फ्लोटिंग और फिक्स रेट दोनों तरह के लोन लेने वालों को)। क्योंकि रेपो दरों में बदलाव नहीं होने से उनकी ईएमआई में बढ़ोतरी नहीं हुई।
इसके अलावा इन्फ्लेशन से कन्स्ट्रक्शन की लागत भी बढ़ जाती है, जिससे प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ती हैं।
उंची ब्याज़ दर और प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ने से बहुत से लोगों के लिए घर खरीदना मुश्किल हो जाता है।
खासतौर पर कम एवं मध्यम आय वर्ग के लिए। अतुल मोंगा, बेसिक होम लोन के सीईओ और सह-संस्थापक कहते हैं कि रियल एस्टेट इन्फ्लेशन से बचाव और सेक्टर में निवेश आकर्षित करने में कारगर हो सकता है।

Upendra Pandey

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