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खुले जंगल में नहीं छोड़े जाएंगे चीते, चीता पवन की मौत के बाद सतर्क हुआ प्रबंधन

देश में चीतों की धरती कूनो नेशनल पार्क में चीता सफारी शुरू करने की कोशिशों को फिलहाल झटका लगा है। चीते फिलहाल खुले जंगल में नहीं छोड़े जाएंगे। इसकी बड़ी वजह, हाल ही में हुई चीता पवन की मौत है। कूनो प्रबंधन इसको लेकर चिंतित है। अलबत्ता भारत की धरती पर चीते लाए जाने की दूसरी वर्षगांठ 17 को मनाई जाएगी।

सेसईपुरा में इस मौके पर कार्यक्रम होंगे। नामीबिया से भारत लाए गए चीतों को दो वर्ष पूरे होने जा रहे हैं लेकिन वन्यप्राणियों के लिए उनका दीदार अभी दूर की कौड़ी लग रहा है। हालांकि चीता सफारी बनाने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। पहली चीता सफारी सेसईपुरा में कूनो नदी के किनारे 50 हेक्टेयर में बनेगी।

दूसरी चीता सफारी विजयपुर क्षेत्र में बनाई जाएगी। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कूनो के भ्रमण के दौरान सेसईपुरा में चीता सफारी तैयार करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे।

इसके लिए 181.17 हेक्टेयर क्षेत्र में चीता सफारी तैयार किए जाने का प्रस्ताव बनाकर सेंट्रल जू अथारिटी ऑफ इंडिया के पास भेजा था। जिस जगह पर ये सफारी बनाई जाएगी, उसमें 124.94 हेक्टेयर वन भूमि और 56.23 हेक्टेयर भूमि राजस्व की शामिल रहेगी। एक इंटरप्रिटेशन सेंटर भी तैयार किया जा रहा है।

केंद्र से मांगे 20 करोड़
मध्य प्रदेश में चीता रहवास परियोजना के लिए प्रदेश के वन विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण, वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 19 करोड़ 76 लाख 81 हजार रुपये की सहायता राशि मांगी है। इस राशि से कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभयारण्य में चीतों की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।

अब गांधी सागर में चीतों को बसाया जाना है। मप्र सरकार ने केंद्र से कूनो के लिए 10 करोड़ रुपये एवं गांधी सागर के लिए नौ करोड़ 76 लाख 81 हजार रुपये की मदद मांगी है।

Upendra Pandey

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