सनातन धर्म में शामिल उर्दू-फारसी के शब्दों को हटाने, 13 अखाड़े, सप्त पुरी व चार कुंभ नगरियों के संत करेंगे मंथन
उज्जैन :- सनातन धर्म में घुस आए इस्लामिक छाप शब्दों को हिंदुओं की पूजा, साधना व उपासना पद्धति से निकालने तथा उनके स्थान पर संस्कृतनिष्ठ व हिंदी के शब्दों को प्रचलन में लाने का अभियान अब देशव्यापी हो चला है।
महाकाल की सवारी से ‘शाही’ शब्द हटाने को लेकर नईदुनिया में बीते सप्ताह खबर छपने के बाद मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सवारी को ‘शाही’ के स्थान पर ‘राजसी’ कहा था। अब इस ‘शब्द शुद्धिकरण यज्ञ’ में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों, सप्त पुरियों तथा चारों कुंभ नगरियों के साधु-संत भी एकमत हो रहे हैं।
इसका बीड़ा उज्जैन के साधु-संतों व विद्वानों ने उठाया है। योजना बन रही है कि इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर विमर्श खड़ा किया जाए। इसके तहत 13 अखाड़ों के साधुओं, सप्तपुरियों में निवासरत प्रमुख धर्माचार्यों व चार कुंभ नगरियों के साधु-संतों के साथ विचार-मंथन किया जाएगा।
अब तक यह हुआ
2 सितंबर 2024 : नईदुनिया ने महाकाल की सवारी से शाही शब्द हटाने का मुद्दा उठाया। साधु-संत और विद्वानों ने दिया समर्थन।
2 सितंबर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शाही सवारी को राजसी सवारी कहकर अभियान को स्वीकृति दी। उज्जैन प्रशासन ने प्रेसनोट में भी राजसी सवारी लिखा।
3 सितंबर : मुद्दा उज्जैन से निकल कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा। कई धर्मनगरियों में उठी आवाज।
5 सितंबर : हरिद्वार के संत समाज ने हिंदू धार्मिक संदर्भों से उर्दू शब्द हटाने व हिंदी, संस्कृत के शब्दों को लाने की मांग रखी।
6 सितंबर : अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा- प्रस्ताव बनाकर सभी कुंभ नगरियों के प्रशासन को भेजेंगे।
प्रयाग कुंभ से पहले हो जाएगा निर्णय
प्रयागराज में पूर्ण कुंभ मेला 13 जनवरी 2025 से आरंभ होगा। इससे पहले सनातन के बोलचाल में शामिल इस्लामिक, मुगलिया छाप शब्दों को खोजने व उनकी सूची बनाने का काम किया जाएगा। यह सूची राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित सभी राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों को भेजी जाएगी।
इसके साथ भेजे पत्र में अनुरोध किया जाएगा कि सनातन से जुड़े दस्तावेजों में उर्दू और फारसी के इन सूचीबद्ध शब्दों का उपयोग बंद हो। उनके स्थान पर सूची में संस्कृत, तमिल, हिंदी के शब्द सुझाएंगे।