Global Market Today: अमेरिका में मंदी की आहट से दुनियाभर के मार्केट धड़ाम, पढ़ें कब संभलेगा भारतीय शेयर बाजार
अमेरिका में मंदी की आहट से सोमवार को सेंसेक्स 2,222 अंक लुढ़क गया। निफ्टी में भी गिरावट दर्ज की गई है। कई भारतीय कंपनियों के शेयर भी लुढ़क गए। जापान के बाजार में 1987 के बाद पहली बार बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
HIGHLIGHTS
- मिड और स्मॉल कैप को संभलने में लगेगा वक्त
- सोमवार को निवेशकों के डूबे 10 लाख करोड़
- भारतीय रुपये में 37 पैसे की आई गिरावट
एजेंसी, नई दिल्ली (Global Market Today):- अमेरिका में मंदी की आहट और जापान में ब्याज दर बढ़ने का असर अन्य देशों के शेयर बाजार पर पड़ रहा है। सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 2,222.53 अंक की गिरावट के साथ 78,759.40 अंक पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 662 अंक की गिरावट के साथ 24,055 अंक पर बंद हुआ।
कब पटरी पर आएगा भारतीय शेयर बाजार
विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय बाजार कुद दिनों में पटरी पर लौट जाएगा। लेकिन मिड कैप और स्माल कैप को संभलने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
जापान में 1987 के बाद बड़ी गिरावट
सोमवार को एशिया के बाजारों में औसतन चार प्रतिशत की गिरावट रही। जापान का निक्केई 12.4 प्रतिशत या 4,451.28 अंक लुढ़ककर 31,458.42 के स्तर पर बंद हुआ। निक्केई में यह 1987 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। 19 अक्टूबर 1987 को निक्केई 3,836 अंक या 14.9 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ था।
निवेशकों के डूबे में 10 लाख करोड़ रुपये
बाजार में गिरावट के साथ निवेशकों को तगड़ा झटका लगा। निवेशकों के एक दिन में 10 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बीएसई में लिस्टेड कंपनी का मार्केट कैप 457.21 लाख करोड़ रुपए से 439.54 लाख रुपए हो गया।
इन शेयरों में हुई बड़ी गिरावट
सोमवार को ONGC में 6.89 प्रतिशत की गिरावट हुई। टाटा मोटर्स 6.04 प्रतिशत लुढ़का। अडानी पोर्ट्स में 6.02 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गई। टाटा स्टील के निदेशक भी 5.25 प्रतिशत की गिरावट देख परेशान हुए। हिंडाल्को में 5.18 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
रुपये में आई गिरावट
पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका में मंदी की चिताओं के बीच वैश्विक बिकवाली के चलते डाॅलर के मुकाबले भारतीय रुपया 37 पैसे की गिरावट के साथ 84.09 के सर्वकालिक निचले स्तर पर जाकर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि भारतीय इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट और विदेशी फंड की निकासी के बाद भारतीय मुद्रा में गिरावट आई है।