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Alaknanda Nadi: सास-बहू मानी जाती है भागीरथी और अलकनंदा नदी, जानें क्‍यों दिया गया नाम

सोशल मीडिया पर अलकनंदा नदी ट्रेंड कर रहा है। इसका कारण है एक दिन पहले हुई भीषण सड़क दुर्घटना। नोएडा के तीर्थ यात्रियों की टेम्पो ट्रैवलर उत्तराखंड में बद्रीनाथ हाईवे पर प्रयागराज से पहले अनियंत्रित होकर अलकनंदा नदी में जा गिरी थी। हादसे में 14 लोगों की मौत हुई है।

Alaknanda Nadi धर्म डेस्क, इंदौर:- भारत में नदियों को पवित्र माना गया है। कई ऐसी नदियां है, जिनके उद्गम को लेकर पौराणिक कथाएं मौजूद है। जहां एक तरफ देश में गंगा और नर्मदा जैसी नदियों को पूजनीय माना गया है, तो वहीं इनकी जलधाराओं से निकली नदियों को धर्म की दृष्टि से विशेष स्थान दिया गया है। ऐसी ही एक अलंकनंदा नदी है। इसे गंगा नदी की स्रोत धारा माना गया है। यह उत्तराखंड में स्थित हिमालयी नदी है, जो कि गंगा की प्रमुख जल धारा है।

अलकनंदा नदी करीब 195 किलोमीटर लंबी और यह उत्तराखंड में सतोपंथ और भगीरथ ग्लेशियरों के संगम से निकली है। यह बद्रीनाथ की ओर से भी गुजरती है और देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलकर गंगा नदी के रूप में आगे बढ़ती है।

ऐसा है मार्ग
अलकनंदा नदी उद्गम से निकलकर बद्रीनाथ धाम तक पहुंचती है और यहां घृत गंगा नदी ये मिल जाती है। जिसके बाद पांडुकेश्वर तक जाती है। बाद में विष्णु प्रयाग में धौलीगंगा से संगम कर जोशीमठ शहर तक जाती है। बिरही में अलकनंदा सहायक बिरही गंगा नदी से मिलकर नंदप्रयाग शहर तक पहुंचती है और नंदाकिनी नदी में मिल जाती है। देवप्रयाग में अलकनंदा नदी भागीरथी से मिल जाती है और आगे इसका नाम गंगा हो जाता है।

सास-बहू मानी जाती है अलकनंदा और भागीरथी
गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी अलकनंदा और भागीरथी नदी को सास-बहू माना गया है। भागीरथी के कोलाहल को देखकर उसे सास, तो वहीं अलकनंदा के शांत रूप को देखकर ही बहू कहा गया है।

ऐसा है इतिहास
अलकनंदा नदी का प्राचीन नाम विष्णुगंगा है। यह उत्तराखंड राज्य के चमोली सहित रूद्रप्रयाग, टिहरी और पौड़ी से गुजरती है। देवप्रयाग में यह भागीरथी से मिल जाती है। यहां अलकनंदा जलधारा का रंग हल्का नीला रहता है, जबकि भागीरथी नदी का रंग हल्का हरा होता है। इन दोनों नदियों का संगम श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। देवप्रयाग में अलकनंदा जलधारा को भागीरथी से ऊंचा दर्जा दिया गया है।

Upendra Pandey

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