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ज्‍यादा फोन चलाने से बच्‍चाें में बढ़ जाता है मायोपिया का खतरा, ऐसे करें बचाव

बच्चों का अधिक स्क्रीन टाइम होने से उन्हें आंखों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के स्क्रीन टाइम को निर्धारित किया जाए। वहीं पांच साल तक के बच्चों को तो मोबाइल और टीवी से दूर ही रखना चाहिए।

इंदौर:- इस मौसम में कंजक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसका एक कारण गंदे हाथ आंख में लगाना भी है। इसके अलावा बच्चों में सबसे अधिक समस्या दूर का नहीं दिखने की है, जिसे मायोपिया कहा जाता है। इसका कारण स्क्रीन टाइम बढ़ना है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मनुश्री गौतम से समझते हैं किन कारणों से मायोपिया हो सकता है और इससे बचाव के क्‍या तरीके हैं।

इन कारणों से हो सकता है मायोपिया
बच्चे अक्सर मोबाइल को नजदीक से देखकर चलाते हैं। मोबाइल से निकलने वाली रेडियस के कारण आंखों में एलर्जी, खुजली चलना और लाल होना जैसी समस्या होती है। लगातार मोबाइल और टीवी देखने के कारण ड्राई आंख की समस्या बढ़ सकती है। क्योंकि स्क्रीन पर एक जैसा देखने के कारण पलक नहीं झपकती हैं।

क्या है बचाव के तरीके?
स्क्रीन टाइम के लिए गाइडलाइन भी जारी हो चुकी है। तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
पांच वर्ष तक के बच्चों का स्क्रीन टाइम सिर्फ एक घंटे होना चाहिए। आठ वर्ष तक के बच्चों का स्क्रीन टाइम दो घंटे तक होना चाहिए।
पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे कितना समय स्क्रीन टाइम पर बिता रहे हैं, क्योंकि जागरूकता इन बीमारियों से बचा सकती है।
आजकल बच्चे बाहर खेलने भी कम जाते हैं, जबकि शाम की धूप आंखों के लिए फायदेमंद होती है। इससे चश्में के नंबर पर नियंत्रण रहता है।

Upendra Pandey

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