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खाना पकाने का तेल हुआ महंगा, सप्लाई कम और कीमतें बढ़ीं

दाल तो अपना रंग पहले ही दिखा चुकी है। अब खाना पकाने का तेल भी उसी ढर्रे पर है। पिछले एक महीने में ही खाना पकाने का तेल करीब 15 फीसदी महंगे हो चुके हैं। दरअसल, इस समय सोयाबीन तेल और सूरजमुखी के तेल की सप्लाई पहले जैसी नहीं है। घरेलू बाजार में सरसों की कीमतें भी बढ़ी हैं। इसलिए सरसों का तेल भी महंगा हुआ है।

प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी (PM Modi) का तीसरा कार्यकाल शुरू होते ही महंगाई भड़क रही है। पहले दाल (Pulses) महंगी हुई और अब खाना पकाने का तेल (Cooking Oil) भी महंगा हो गया है। पिछले एक महीने में ही इसकी कीमतों में करीब 15 फीसदी का इजाफा हो गया है। कीमतों में बढ़ोतरी की वजह अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की सप्लाई घटना और घरेलू सरसों तेल का महंगा होना बताया जाता है। उल्लेखनीय है कि घरेलू मांग पूरा करने के लए हर साल करीब 30 लाख टन सोयाबीन तेल और 25 से 30 लाख टन सूरजमुखी का आयात करना होता है।

क्यों हुए खाद्य तेल महंगे

हमारे सहयोगी ईटी से बातचीत में अडानी विल्मर, इमामी एग्रोटेक और सनविन ग्रुप जैसी कंपनियों ने कहा कि अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की सप्लाई में व्यवधान के कारण कीमतें बढ़ रही हैं। इसी बीच, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और हरियाणा राज्य सहकारी सप्लाई और मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (HAFED) ने बड़ी मात्रा में सरसों की खरीदारी की है। इससे सरसों की कीमत बढ़ी है। कुछ ही समय पहले सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी से नीचे चल रहा था। लेकिन इस खरीदारी की वजह से सरसों भाव एमएसपी पर पहुंच गया है। इस समय सरसों का एमएसपी ₹5,650 प्रति क्विंटल है। सरसों महंगा होने से इसके तले का भाव भी करीब 15 फीसदी बढ़ा है।

बाजार में मजबूती की धारणा

इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और इमामी एग्रोटेक के सीईओ सुधाकर देसाई ने कहा, “मैं यह नहीं कहूंगा कि आगे बड़ी तेजी की संभावना नहीं है, लेकिन बाजार में मजबूती बने रहने की उम्मीद है।” कारोबारी सूत्रों का कहना है कि अर्जेंटीना में श्रमिकों के विरोध के कारण सोयाबीन तेल की सप्लाई प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इस सीजन में सोयाबीन की पेराई कम हुई है। अर्जेंटीना ऑयलसीड क्रशर यूनियन ने प्रस्तावित आर्थिक कानून सुधारों के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया था, जिसमें वेतन करों को बदलने की बात की गई थी जो क्रशर को प्रभावित करेगी।

ब्राजील में बाढ़ तो सोयाबीन की फसल प्रभावित

ब्राजील में बाढ़ से सोयाबीन तेल के उत्पादन पर और असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, फसल एजेंसी एमेटर (Emater) ने 5 जून को कहा कि ब्राजील के सबसे दक्षिणी राज्य रियो ग्रांडे डो सुल में हाल ही में आई बाढ़ से सोयाबीन के नुकसान का अनुमान 2.71 मिलियन टन था।

चीन की खरीदारी का भी असर

मुंबई की प्रमुख ऑयल ट्रेडिंग कंपनी सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा, “चीन ने हाल ही में भारी मात्रा में सोयाबीन तेल खरीदा है। इससे भी खाद्य तेल की कीमतों पर असर पड़ा है।” वहीं अडानी विल्मर के एमडी अंशु मलिक का कहना कि सोयाबीन तेल की सप्लाई घटी है।

खुदरा बाजार में बढ़ गई कीमतें

मलिक के मुताबिक बीते अप्रैल में सोयाबीन तेल की एक खेप ब्राजील के रास्ते अर्जेंटीना से आ रही थी। इसमें लगभग 40,000 टन सोयाबीन तेल था। लेकिन मई में, यह घटकर 30,000-32,000 टन रह गया। उनका कहना है कि मई में सोयाबीन तेल की सप्लाई में कमी के परिणामस्वरूप खुदरा बाजार में कीमतों में 3-4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।

सूरजमुखी तेल भी हुआ है महंगा

संदीप बाजोरिया का कहना है कि इस समय रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की बहुत कम सप्लाई है। दरअसल, वहां अभी सूरजमुखी का ऑफ-सीजन है। दरअसल, वहां बढ़ते तापमान ने पिछली फसल को अंतिम दिनों में प्रभावित किया था। यही नहीं, इस साल की फसल पर भी बढ़ते तापमान का असर दिख सकता है। इससे बाजार की धारणा प्रभावित हुई है। सूरजमुखी तेल की कीमतें पहले से ही 6.5% बढ़ गई हैं।

Upendra Pandey

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