लोकसभा चुनाव में शिक्षकों की कमी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बड़ा मुद्दा
लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करके राज्य सरकार ने शिक्षा में बदलाव के संकेत तो दिए हैं मगर शिक्षकों की कमी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अभी भी बड़ा मुद्दा है। स्थिति यह है कि राज्य में प्री शिक्षा से लेकर, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा का सेटअप अभी तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुकूल नहीं हो पाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षक जो कि शिक्षण संस्थान की बुनियाद है, वह कमजोर पड़ रहे हैं।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्री शिक्षा से प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में करीब 40 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। इसी तरह सरकारी कालेजों में भी 42 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं। शिक्षक विहीन स्कूल-कालेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चुनौतीपूर्ण है। लोकसभा चुनाव के दौरान अभिभावकों और युवाओं के लिए यह बड़ा मुद्दा है। प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को भी बढ़ाने की आवश्यकता है। अभी कुल 404 अंग्रेजी और 348 हिंदी माध्यम के स्वामी आत्मानंद स्कूल संचालित हैं।