बीजेपी के संकल्प पत्र में CAA पर उल्लेख, लेकिन NRC पर मौन, जानिए क्या है वजह?
भारतीय जनता पार्टी ने 2024 का घोषणा पत्र जारी कर दिया है। बीजेपी के संकल्प पत्र में सीएए का तो जिक्र है लेकिन एनआरसी पर चुप्पी साधे हुए है। 2019 के अपने पिछले घोषणापत्र में भी एनआरसी का जिक्र था लेकिन उसके बाद उसे लागू करने के प्रयास नहीं किए गए।
भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को पीएम मोदी की मौजूदगी में अपना घोषणापत्र जारी कर दिया। बीजेपी इसे हर चुनाव से पहले संकल्प पत्र के नाम से जनता के बीच लाती है। इस बार के संकल्प पत्र में नागरिकता संशोधन अधिनियम की बात तो है लेकिन एनआरसी पर कुछ नहीं कहा गया है। यहां तक कि पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) के तहत भौगोलिक क्षेत्र में कटौती करने का वादा किया गया है। 2019 के आम चुनाव के लिए भाजपा के ‘संकल्प पत्र’ ने असम में एनआरसी प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने का वादा किया था लेकिन उसके बाद से इसपर सरकार चुप है। सीएए-एनआरसी के खिलाफ देश के कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुए थे।
सीएए की वकालत और एनआरसी पर चुप्पी
बीजेपी के 2024 के चुनावी घोषणापत्र में NRC का जिक्र नहीं है,हालांकि इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक धर्मों के उन लोगों को नागरिकता देने का वादा दोहराया गया है, जो दिसंबर 2014 से पहले भारत चले आए थे। जब सीएए पास हुआ था, तो इसके विरोधियों ने इसे NRC से जोड़ने की कोशिश की थी। उनका कहना था कि सीएए, NRC बनाने का पहली कदम है और यह भारतीय मुसलमानों को नागरिकता साबित करने के दस्तावेज न देकर, उन्हें गैर-नागरिक घोषित कर देगा। हालांकि सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि सीएए और NRC का कोई संबंध नहीं है। उनका कहना है कि सीएए में किसी की चाहे मुसलमान हो या कोई और, नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। जहां तक NRC की बात है, तो सरकार ने अभी इसे बनाने की कोई घोषणा नहीं की है।
तीन महत्वपूर्ण कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं। इसको लेकर भाजपा ने कहा है कि वह इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी प्रशिक्षण, ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स, विश्वविद्यालयों और लॉ स्कूलों में नए पाठ्यक्रम और कई अन्य उपायों के माध्यम से इनको लागू कराएगी।