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छत्तीसगढ़ : बिलासपुर की “मां वैष्णो देवी”, कटरा से लाई गई है तीनों पिंडी

नगोई गांव के वैष्णो मंदिर में देवी मां की तीनों पिंडियां कटरा से लाई गई हैं। तीनों पिंडी को देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और मां काली के रूप में विराजमान किया गया है।

चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है…इस जयकारे के साथ श्रद्धालु भक्त जम्मू में विराजित मां वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं। वहीं हम यह भी बता दें कि बिलासपुर में भी “मां वैष्णो देवी” का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां नवरात्र पर हर साल बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है। कटरा से तीनों पिंडियां पहुंची थीं, इतना ही नहीं जम्मू के कारीगरों ने मंदिर का निर्माण किया है।

बिलासपुर शहर से महज सात किलोमीटर दूर ग्राम नगोई है। यहां शर्मा परिवार ने इस मंदिर का निर्माण छह साल पहले कराया है। यहां पिंडी रूप में विराजी मां हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं। जम्मू के बाद छत्तीसगढ़ का यह पहला मंदिर है जहां माता का दरबार सजा है। इस मंदिर की खासियत यह है कि ये मंदिर हूबहू वैष्णो देवी मंदिर की तरह है। जिस तरह वहां गुफा में वैष्णो देवी विराजमान हैं। ठीक उसी तरह यहां भी गुफा बनाकर वैष्णो देवी को स्थापित किया गया है। पूरे मंदिर को लगभग दो हजार वर्ग फीट में तैयार किया गया है।

मंदिर में वैष्णो देवी के पिंडी के साथ ही नवदुर्गा, द्वादश ज्योतिर्लिंग, गणेश, कार्तिक, बजरंगबली के साथ ही भैरव बाबा भी विराजमान हैं। नगोई गांव के वैष्णो मंदिर में देवी मां की तीनों पिंडियां कटरा से लाई गई हैं। तीनों पिंडी को देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और मां काली के रूप में विराजमान किया गया है। मंदिर में पिंडियों के ऊपर मां का प्रतीकात्मक मुकुट और छतरी लगाए गए हैं। पूरे मंदिर को जम्मू के मां वैष्णो मंदिर का रूप दिया गया है। देवी को गुफाओं के बीच स्थापित किया गया है, ताकि यहां आने वाले भक्तों को मंदिर में विराजी वैष्णव देवी के मूल मंदिर का अहसास हो सके। इसकी भव्यता और आकर्षण देख दर्शन करने भक्तों का तांता लगा रहता है।

मंदिर में वैष्णो देवी मंदिर में हनुमान जी

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मंदिर में वैष्णो देवी के पिंडी के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग विराजमान

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मंदिर में वैष्णो देवी मंदिर में हनुमान जी

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जम्मू के कारीगरों ने किया कमाल

बिलासपुर के मां वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण छह साल पहले शुरू किया गया था। यहां जम्मू कश्मीर के कारीगर आ कर मंदिर निर्माण किए हैं। लगभग छह साल तक मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा। पुजारी पंडित विवेक मिश्रा की मानें तो निर्माण के बाद कुछ ही दिनों में मंदिर की ख्याति इतनी बढ़ गई है कि दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आने लगे हैं। मंदिर का हर एक हिस्सा वैष्णो देवी मंदिर के तरह बनाया गया है। यहां भी पहाड़ों के बीच गुफा में देवी मां विराजमान हैं।

नवरात्र पर उमड़ती है खूब भीड़

वैष्णो देवी की गुफा के ऊपरी हिस्से में देवी दुर्गा सहित उनके नौ रूपों को प्रतिमा के रूप में स्थापित किया गया है। देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा यहां रोजाना होती है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारी, चंद्रघंटा, कृषमांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धदात्री की प्रतिमा स्थापित की गई है। देवी के नौ रूपों की पूजा यहां रोजाना सुबह-शाम की जाती है। इसके अलावा महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग को भी स्थापित किया गया है।

Upendra Pandey

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