बचपन का मोटापा बड़े होने पर बन सकता है हाइपरटेंशन और हार्ट डिजीज का कारण
दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक की वजह से होती हैं। हार्ट अटैक के लिए डायबिटीज, बैड कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और स्मोकिंग जैसे तमाम कारण जिम्मेदार हैं। लेकिन सबसे अहम कारण है हाई बीपी यानी हाइपरटेंशन।
हाल ही में मेडिकल जर्नल ‘न्यूज मेडिकल लाइफ साइंसेज’ में यूरोपियन एसोसिएशन की एक स्टडी पब्लिश हुई है। इस स्टडी के मुताबिक बड़ी उम्र में हुए हाइपरटेंशन की शुरुआत बचपन से ही हो जाती है। जो बच्चे और टीनएजर्स मोटे होते हैं, उनमें से ज्यादातर 50 से 60 साल की उम्र तक हाइपरटेंशन का शिकार हो जाते हैं। स्टडी में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर में करीब 130 करोड़ लोग हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं।
5 साल से कम उम्र के 3.7 करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार
बीते कुछ सालों में मोटापे की समस्या बहुत तेजी के साथ बढ़ी है। उसने किसी उम्र, जाति या रंग के व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया है। पहले मोटापे की समस्या सिर्फ युवाओं या बुजुर्गों में ही देखने को मिलती थी।
लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 2022 में दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के करीब 3.7 करोड़ बच्चे मोटापे से पीड़ित थे। पूरी दुनिया में मोटापे से जूझ रहे 5 से 19 साल के बच्चों की संख्या 39 करोड़ है।
मोटापे को एपेडेमिक मानता है WHO
अगर साल 1990 से तुलना की जाए तो 2022 में बच्चों में मोटापे के मामले चार गुना तेजी से बढ़े हैं। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन काफी चिंतित है क्योंकि मोटापा कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
इसके मामलों में तेजी से हो रहे इजाफे के कारण WHO ने मोटापे को एपिडेमिक घोषित कर दिया है। मतलब एक ऐसी बीमारी, जो बहुत तेजी से फैल रही है और बड़ी आबादी इसकी चपेट में आ रही है।