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भोपाल में डेंगू का प्रकोप बढ़ा, 200 के पार पहुंचा मरीजों का आंकड़ा

डेंगू :- राजधानी में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। आलम यह है कि डेंगू मरीजों का आंकड़ा 200 के पार पहुंच गया है। कारण, मलेरिया और डेंगू वायरल बुखार को लेकर पूरे स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और लापरवाही है। राजधानी में अब तक डेंगू के 201 मरीज मिले चुके हैं, वहीं एक की मौत भी हो चुकी है। डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया पीड़ितों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर तरह का ढिंढोरा पीटता है कि यहां सर्वे किया जा रहा है, वहां फील्ड वर्कर भेजे गए हैं। डेंजर जोन में रोजाना फॉगिंग की जा रही है। हर तरह काम मुस्तैदी से चल रहा है।

इस मुस्तैदी और सतर्कता की बानगी देखिए कि स्वास्थ्य विभाग खुद तो मरीज तलाश नहीं पाता और जिन मरीजों की जानकारी निजी अस्पताल विभाग को देते हैं, उनको लेकर भी टालमटोल की जाती है। न तो समय पर ऐसे मरीजों की जांच कराई जाती है और न ही इलाज को लेकर कोई पूछताछ होती है। सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।

निजी अस्पताल की किट जांच मान्य नहीं
दरअसल, निजी अस्पताल द्वारा किट जांच को स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े में पॉजिटिव घोषित नहीं किया जाता है और सरकारी अमला वायरोलाजी लैब में जांच को लेकर गंभीर नहीं रहता है। नमूना जांच के लिए भेजा जाता है और जब तक रिपोर्ट आती है, तब तक मरीज ही ठीक होकर घर चला जाता है। निजी अस्पताल में भर्ती डेंगू के मरीज का नमूना जब वायरोलाजी लैब भेजा जाता है तो उसकी रिपोर्ट क्या आई, यह जानकारी निजी अस्पताल में भेजी ही नहीं जाती है। इस तरह सब कुछ अपनी सुविधा और मनमर्जी से चलता है। मरीज की सुविधा और इलाज से विभाग को कोई सरोकार नहीं है।

आरोप-प्रत्यारोप का खेल
स्वास्थ्य विभाग यह आरोप लगाता है कि निजी अस्पताल मलेरिया, डेंगू के मरीजों की जानकारी समय पर नहीं देते हैं। इधर, निजी अस्पताल के संचालकों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग किट जांच को पॉजिटिव नहीं मानता। स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल द्वारा एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए पूरा वर्ष निकल जाता है, जिससे वास्तविक आंकड़ा मरीजों का सामने नहीं आता है। कुछ इस तरह की नूराकुश्ती वर्षों से चल रही है।
एंटीजन या रैपिड टेस्ट के बाद एलाइजा टेस्ट जरूरी
सभी शासकीय और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को डेंगू के मरीजों की जानकारी देनी है, जिसमें लापरवाही बरती गई है। डेंगू की पुष्टि के लिए तीन तरह से जांच होती हैं। इसमें रैपिड के अलावा एंटीजन ब्लड और एलाइजा टेस्ट किया जाता है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एंटीजन या रैपिड टेस्ट में पाजिटिव आने पर एलाइजा टेस्ट जरूरी है।

इनका कहना है
मलेरिया और डेंगू को लेकर विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। जहां पर कहीं कोई कमी कभी सामने आती है, वहां तुरंत सुधार होता है। यदि किसी पीड़ित को कोई परेशानी है तो तुरंत इसकी शिकायत मलेरिया विभाग से करना चाहिए, इसका समाधान निकलेगा।

  • डॉ. अखिलेश दुबे, जिला मलेरिया अधिकारी, भोपाल

25 निजी अस्पताल की सौंपी रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग की सर्वे टीम ने 25 अस्पतालों की रिपोर्ट सौंपी है। लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों को नोटिस जारी करने और स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। शासकीय व निजी अस्पतालों में डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखा जाना है। पीड़तों की जानकारी देना अनिवार्य है, ताकि कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा सके।

  • डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ, भोपाल
Upendra Pandey

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