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बिलासपुर :- जनवरी से प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेले को लेकर रेलवे ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे बोर्ड ने पत्र जारी कर उन कर्मचारियों की सूची मांगी है, जिनकी ड्यूटी लगाई जा सकती है। जोन कार्यालय से पत्र तीनों रेल मंडल को भेजा गया है। पत्र में जोन से 133 कर्मचारी व अधिकारियों की आवश्यकता भेजी गई है।
महाकुंभ मेल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक
इस पत्र के बाद जोन के तीन रेल मंडल बिलासपुर, रायपुर व नागपुर में कर्मचारियों की सूची तैयार करने की कवायद चल रही है। मांग कर्मचारी कमर्शियल विभाग से की गई है। महाकुंभ मेल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें शामिल होने के लिए देशभर के श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान ट्रेनों में भारी भीड़ रहती है। इसके अलावा स्टेशन में पैर तक रखने की जगह नहीं रहती।
अतिरिक्त रेल कर्मचारियों की आवश्यकता
श्रद्धालु यात्रियों को स्टेशन या ट्रेनों में किसी तरह की असुविधा न हो। इसके लिए रेल प्रशासन अलग से तैयारी करता है। जिसमें अतिरक्त टिकट काउंटर, टिकट चेकिंग स्टाफ, मानिटरिंग शामिल है। इन कार्यों के लिए अतिरिक्त रेल कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती है अकेले प्रयासराज के रेलवे स्टाफ के द्वारा इस भीड़ का संभाल पाना मुश्किल होगा। यही कारण है कि रेलवे बोर्ड ने प्रत्येक जोन से कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का निर्णय लिया है। इसके तहत बोर्ड ने जोन को कर्मचारियों की डिमांड भी भेजी है। जिसमें दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे भी शामिल है।
प्रत्येक रेल मंडल को जोन कार्यालय से पत्र भेजा
इस जोन के अंतर्गत तीन रेल मंडल आते हैं। जिसे देखते हुए कमर्शियल विभाग के 133 कर्मचारियों की मांगे हैं। हालांकि जोन मांग के अनुरूप पूरे कर्मचारियों को भेजने की स्थिति में हैं या नहीं अब तय नहीं है। इसके लिए प्रत्येक रेल मंडल को जोन कार्यालय से पत्र भेजा गया है कि सूची तैयार करने के लिए कहा गया। जल्द ही सूची तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेज दी जाएगी।
जानिए रेलवे बोर्ड ने बिलासपुर जोन से कितने कर्मचारी मांगे
- बुकिंग क्लर्क – 400
- सीएमआई -30
- टीटीई – 800
- ग्रुप डी – 10
- 10 से 12 दिन तक करेंगे ड्यूटी
महाकुंभ में अलग- अलग जोन से बुलाए गए कर्मचारी व अधिकारी का ड्यूटी 10 से 12 दिनों का होगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि किसी भी जोन के कर्मचारियों में कार्य का अतिरिक्त भार न पड़े। एक जोन के कर्मचारी जाएंगे तो दूसरे जोन के आएंगे। चरणबद्ध तरीके से ड्यूटी लगने पर कर्मचारियों को भी परेशानी नहीं होगी और श्रद्धालुओं की सुविधा में भी किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा।