मानसिक तनाव से हैं बेहद परेशान, तो बस ये एक तरीका बदल देगा जिंदगी
इंदौर :- गहरी, लंबी सांस लेना, जिसे डीप ब्रीदिंग भी कहते हैं, तनाव को कम करने और मूड को बेहतर बनाने का एक बहुत ही सरल, सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। शरीर की ये क्रिया शरीर और मन दोनों को रिलैक्स कर शांति प्रदान करती है।
आइए इस बात को इन बहुत ही आसान बिंदुओं में और बेहतर तरीके से समझें…
श्वास और तनाव का आपसी संबंध
स्ट्रेस होने पर ह्रदय गति में परिवर्तन आने के कारण सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है, क्योंकि जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारी श्वास तेज हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। गहरी सांस लेने से शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे दिमाग शांत होता है और शरीर का एनर्जी लेवल बेहतर होता है। यह तकनीक तनाव के दौरान शरीर को स्वाभाविक रूप से शांत करती है।
विश्राम से तुरन्त मिलने वाली प्रतिक्रिया
गहरी श्वास लेने से पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जो शरीर की विश्राम करने की प्रतिक्रिया को बढ़ावा देता है। यह दिल की धड़कन को संतुलित करके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और मांसपेशियों के तनाव को कम करता है। इससे शरीर स्ट्रेसफुल कंडीशन से बाहर निकलकर तनावपूर्ण शांत और नॉर्मल हो पाता है।
सकारात्मक विचारों पर फोकस
गहरी श्वास के लेने के दौरान सकारात्मक विचारों पर ही फोकस करना चाहिए। यह ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है और नकारात्मक विचारों और भावनाओं को कम करता है, इसलिए बेहतर होगा कि आप श्वास को धीरे-धीरे लेते और छोड़ते समय अपने दिमाग को शांत रखें। किसी एक सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित करें।
उदर श्वास क्या है
गहरी सांस लेने की सबसे प्रभावी तकनीक उदर श्वास (डायाफ़्रामिक श्वास) है। इसमें सांस लेते समय पेट ऊपर उठता है और सांस छोड़ते समय वापस सामान्य स्थिति में आता है। इस तकनीक से फेफड़ों में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का संचार होता है और शरीर बेहतर महसूस करता है। ये तकनीक से न केवल मानसिक तनाव कम होता है, बल्कि शारीरिक थकावट भी दूर होती है।
ध्यान देने योग्य बातें
- गहरी सांस धीरे-धीरे लें और छोड़ें।
- इसका नियमित कम से कम 10 मिनट का अभ्यास करें।
- योग, ध्यान या मेडिटेशन के साथ मिलाकर करने से इसका प्रभाव और बढ़ सकता है।