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बिलासपुर में इस साल चढ़ा स्वदेशी रंग, बाजार में रहा उमंग, लोकल फार वोकल का दिखा असर

बिलासपुर :- परंपरागत चीजों को लेकर लोग खूब उत्साहित दिखे। बाजार में इस बार की रौनक एकदम अलग थी। जहां एक तरफ कुम्हारों के मिट्टी के दीए, पारंपरिक सजावट के सामान और रंगोली ने माहौल को जीवंत कर दिया। वहीं कांसा, पीतल और चांदी के बर्तनों के बाजार में भी भीड़ देखी गई।

ग्राहकों में उत्साह इतना था कि अधिकांश स्टालों पर सामान जल्दी ही बिक गया। दिवाली की खरीदारी में लोगों ने मिट्टी के दीयों और स्वदेशी सजावट के सामानों को प्राथमिकता दी। ताकि घरों में एक पारंपरिक और आकर्षक माहौल बन सके। वहीं धनतेरस पर रिकार्ड संख्या में झाडू की बिक्री हुई।

महिला समूहों को इससे काफी फायदा हुआ। ग्रामीण व्यापार को भी बल मिला। आलम यह कि लोग चाइनीज बंदूक व पटाखों से भी दूरी बनाते दिखे। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोडक्ट जैसे प्लास्टिक के समान खरीदने से भी अधिकांश बचते नजर आए।

घर में बनी मिठाइयों का जलवा
इस बार बाजारों में मिठाइयों के अलावा घर की बनी मिठाइयों का भी क्रेज रहा। गृहणियों ने खुद से विभिन्न प्रकार के व्यंजन और पकवान तैयार किए। जिनमें छत्तीसगढ़ी ठेठरी, खुरमी से लेकर लड्डू, गुजिया और चकली शामिल थे। मेहमानों का स्वागत खुद के बनाए पकवानों से हुआ। जिससे न केवल आर्थिक रूप से बचत हुई। बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी परिवार को लाभ मिला।

ई-शापिंग में ठगे गए ग्राहक
आनलाइन समान खरीदने वाले कई ग्राहक पिछले साल की तरह इस साल भी ठगे गए। खासकर रेडिमेड, ग्रासरी और इलेक्ट्रानिक्स आइटम ने निराश किया। ग्राहकाें ने आनलाइन शिकायत करने के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने कंपनी को प्रोडक्ट वापस लौटाया भी है। कुछ तो पुलिस तक शिकायत लेकर पहुंचे थे।

प्रमुख पांच झलकी

  • कुम्हारों के पास इस साल लगभग दीए व ग्वालिन बिक गए।
  • रंगोली-अल्पना व हाथों से बने समान से घर की सजावट।
  • प्लास्टिक व मोमबत्ती से हिंदू परिवारों ने किनारा किया।
  • पारंपरिक चीजों को खरीदने में सबसे ज्यादा रूचि रही।
  • इलेक्ट्रानिक प्रोडक्ट खरीदने से पहले स्वदेशी पर बल।

बाजार में सबसे ज्यादा बिकी

  • मिट्टी के दीये
  • झाडू व रंगोली
  • गुजिया
  • चांदी का सिक्का
  • कांसा-पीतल व स्टील के बर्तन

त्योहार में परिवार का साथ
वैसे हर साल की तरह इस बार घरों में सजावट का जिम्मा भी अधिकांश लोगों ने खुद संभाला। बच्चों और युवाओं ने अपने हाथों से तोरण, रंगोली, और अन्य सजावटी सामग्रियों का निर्माण किया। गृहणियों ने तरह-तरह के परंपरागत व्यंजन और पकवान बनाकर मेहमानों और परिवार के लोगों का स्वागत किया। परिवार संग पर्व का आनंद कई गुना बढ़ गया।

Upendra Pandey

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