CBSE: ‘सफल’ से पता चलेगा बच्चों के सीखने का लेवल, इंदौर के 20 फीसदी स्कूलों ने ही कराया रजिस्ट्रेशन
सीबीएसई की तरफ से नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन करने के लिए सफल ऑनलाइन टेस्ट शुरू किया गया है। हालांकि, तय मानक पूरे नहीं होने के चलते इंदौर के करीब 20 स्कूलों ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। इस टेस्ट के जरिये यह पता किया जा रहा है कि स्टूडेंट्स के सीखने का लेवल क्या है।
HIGHLIGHTS
- 22 जुलाई से शुरू हुए टेस्ट 12 अगस्त तक चलेंगे।
- जिले के 20 स्कूलों में तीन स्लॉट में हो रहा है टेस्ट।
- 8वीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स का होना है मूल्यांकन।
इंदौर:- स्कूलों में छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता पता करने के लिए सीबीएसई बाेर्ड ने तीन साल पहले स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालिसिस लर्निंग यानी सफल टेस्ट शुरू किया था। इस बार ‘सफल’ को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया गया है। इसमें जनवरी में स्कूलों को इस ऑनलाइन टेस्ट के लिए रजिस्ट्रेशन करना था। हालांकि, तय मानक पूरे नहीं होने के चलते इंदौर के करीब 20 स्कूलों ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। सफल टेस्ट 22 जुलाई से शुरू हो चुके हैं, जाे 12 अगस्त तक चलेंगे। बताते चलें कि सीबीएसई की तरफ से नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन करने के लिए सफल ऑनलाइन टेस्ट शुरू किया गया है। इस बार यह टेस्ट तीसरी, पांचवीं, छठीं और आठवीं क्लास के स्टूडेंट्स का लिया जा रहा है।
इंग्लिश, मैथ्स और साइंस सब्जेक्ट का हो रहा टेस्ट
इस टेस्ट में विद्यार्थी कितना सीख रहे हैं, उनकी योग्यता, दक्षता आदि का आकलन किया जाएगा। इस बार सफल टेस्ट के लिए जिले से 20 से अधिक स्कूलों में तीन स्लॉट में परीक्षा चल रही है। यह टेस्ट इंग्लिश, मैथ्स और साइंस सब्जेक्ट में लिया जा रहा है।
सीबीएसई मामलों के विशेषज्ञ उत्तम कुमार झा ने बताया कि सफल के लिए सीबीएसई ने मानक तय किए हैं। यह टेस्ट ऑनलाइन होते हैं। इसलिए स्कूल में एडवांस कम्प्यूटर सेटअप होना जरूरी है। सभी स्कूलों को सफल में शामिल होना चाहिए, लेकिन मानदंड पूरे नहीं होने से कम स्कूलों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है।
पूरे देश में चल रहा है यह प्रोजेक्ट
यह टेस्ट इसलिए भी जरूरी है, ताकि बच्चों को सही तरीके से मूल्यांकन हो सके। छात्र एक कक्षा से अगली कक्षा में तो आ जाते हैं, लेकिन कई बार सिलेबस के अनुसार सीख नहीं पाते हैं। सीबीएसई मामलों के विशेषज्ञ श्याम अग्रवाल ने बताया कि सफल को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। तीन स्लॉट में हो रहे टेस्ट में एक घंटे में विषयवार 20 से 30 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट पूरे देशभर में चल रहा है।
स्कूल का परिणाम नहीं होगा सार्वजनिक
सीबीएसई ने जो सर्कुलर जारी किया है। उसके अनुसार, सफल प्रोजेक्ट का मकसद सिर्फ विद्यार्थियों की दक्षताओं का आकलन करना है। यह न तो प्रतियोगिता है और न ही परीक्षा है। सफल टेस्ट का उद्देश्य विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था को बेहतर करना है। सफल योग्यता आधारित मूल्यांकन है।
इसके लिए किसी विशेष प्रकार की कक्षा लेने या तैयारी करने की जरूरत नहीं है। सभी प्रतिभागी विद्यालयों को केवल विद्यालय-स्तरीय दक्षता रिपोर्ट ही प्रदान की जाएगी। संबंधित विद्यालय केवल खुद की सफल रिपोर्ट ही देख सकेगा। सफल की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।