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Guru Purnima 2024 : गुरु दीक्षा के लिए शुभ मास, शुभ तिथि और शुभ स्थान का भी महत्व

वालियर के ज्‍योतिषाचार्य एसके अग्रवाल का कहना है कि गुरु दीक्षा लेते समय कुछ बातों का विशेष ध्‍यान रखा जाना चाहिये। गुरु दक्षिणा के लिए मास, तिथि और स्‍थान के बारे में भी विस्‍तार से बताया गया है।

HIGHLIGHTS

  1. सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जा गुरु पूर्णिमा पर्व।
  2. शास्त्रों में गुरु दीक्षा के लिए दिया है मार्गदर्शन।
  3. भगवान श‍िव को बना सकते हैं अपना गुरु।

सर्वार्थ सिद्धि योग में रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। ग्‍वालियर के ज्‍योतिषाचार्य एसके अग्रवाल ने बताया कि शास्त्रों में गुरु दीक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ मास, तिथियां बताये गये हैं। गुरु दीक्षा ले रहे हैं, तो इसके लिए वैशाख, ,सावन,कार्तिक, अगहन और फाल्गुन मास में दीक्षा लेनी सर्वोत्तम माने जाते हैं। इसके साथ ही गुरु दक्षिणा लेने के स्थान का विशेष महत्व होता है।

कुछ प्रमुख बातें

  • आध्यात्मिक लाभ की कामना रखने वाले के लिए कृष्ण पक्ष में दीक्षा ग्रहण करना उचित रहती है।
  • सांसारिक सिद्धियां प्राप्त करने वाले की लालसा वालों को शुक्ल पक्ष में ली गई दीक्षा फल देती है।
  • दीक्षा ग्रहण के लिए द्वितीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, तेरस और पूर्णमासी उत्तम रहती है।
  • दीक्षा के लिए रवि, सोम, बुध, गुरु, और शुक्रवार उत्तम माने गए हैं।
  • दीक्षा के लिए मेष, कर्क, वृश्चिक, तुला, मकर और कुंभ को प्राथमिकता दी गई है

तांत्रिक कार्य के लिए

पुष्य नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पुष्य के अतिरिक्त हस्त अश्विनी, रोहिणी, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा,उत्तरा फाल्गुनी उत्तराषाढा,उत्तरभाद्रपद, श्रवण, आद्रा, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र भी शुभ होते हैं।

दीक्षा के लिए यह स्थान शुभ होते हैं

दीक्षा ग्रहण करने के लिए आचार्यों ने स्थान का भी निर्देश किया है शुभ और अशुभ स्थान भिन्न-भिन्न बताए गए हैं।गौशाला, उपवन,पर्वत शिखर,गुरु का निवास स्थान,तीर्थ पर्वतीय गुफा, देव मंदिर,सरिता तट, गंगा तट(श्मशान नहीं),वन, इमली वृक्ष के समीप दीक्षा लेना शुभ माना जाता है।

शिव को अपना गुरु बना सकते हैं

गुरु दक्षिण के लिए कोई योग्य गुरू नजर नहीं आ रहा है, तो ऐसे भगवान शिव को अपना गुरु बनाया जा सकता है। संसार उनसे उत्तम कोई गुरु नहीं हैं।

शिव को गुरु बनाने की विधि

  • आंखें बंद करके आराम से बैठ जायें।
  • भगवान शिव से कहें हे शिव मैं आप को अपना गुरु बनने का आग्रह कर रहा हूं
  • आप मुझे शिष्य के रूप में स्वीकार करें।
  • दोनों ऊपर हाथ उठाकर ब्रह्मांड की तरफ देखते हुए 3 बार घोषणा करें।
  • कहें- अखिल अंतरि‍क्ष सम्राज्य में मै घोषणा करता हूं कि शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं
  • शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं. शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं । यथास्तु। घोषणा दर्ज हो। हर हर महादेव।
  • इससे भगवान शिव अपनी ही तय शास्त्रीय व्यवस्था के मुताबिक आग्रह करने वाले को शिष्य के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।
  • इसी कारण उसी दिन से जीवन बदलने लगता है !
  • शिव गुरु को साक्षी बनाकर शुरू किये कार्यों में रुकावटें नही आतीं। इसलिये जो भी काम करें उसके लिये भगवान शिव को पहले साक्षी बना लें। कहें- हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं आपको साक्षी बनाकर ये कार्य करने जा रहा हूं। इसकी सफलता के लिये मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें !

हर रोज शिव गुरु से कम से कम तीन बार कहें

हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं. मुझ शिष्य पर दया करें। हर रोज शिव गुरु को नमन करें। इसके लिये शांत मन से कुछ मिनटों तक जपें – नमः शिवाय गुरुवे। भगवान शिव को राम नाम सबसे अधिक प्रिय है। वे खुद भी सदैव इसका ध्यान करते रहते हैं। इसलिये उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में उनकी सबसे प्रिय चीज राम नाम अर्पित करें।

Upendra Pandey

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