Bangladesh Student Protests: बांग्लादेश में देखते ही गोली मारने के आदेश, 1000 भारतीय छात्र लौटे, 4000 अब भी फंसे
बांग्लादेश सरकार ने 1971 मुक्ति संग्राम में शामिल होने वाले लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का फैसला किया है। छात्र संगठन इसी का विरोध (Quota Protest Bangladesh) कर रहे हैं। हिंसा में अब तक 140 लोगों की मौत हो चुकी है।
HIGHLIGHTS
- प्रधानमंत्री शेख हसीना रद किया अपना विदेश दौरा
- US ने भी अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी
- फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के प्रयास जारी
एजेंसी, ढाका (Quota Protest Bangladesh):- आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में छात्र संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सेना तैनात करने और देशभर में कर्फ्यू लगाने के बाद भी हालात काबू नहीं हुए, तो सरकार को देखते ही गोली मारने के आदेश देने पड़े। इस बीच, रविवार का दिन अहम होने जा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी।
इस बीच, बांग्लादेश में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के प्रयास जारी हैं। अब तक 1000 छात्रों को भारत लाया जा चुका है। वहीं, 4000 अभी भी फंसे हैं। भारत सरकार पहले ही बांग्लादेश में रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर चुकी है।
Bangladesh Student Protests: 10 बिंदुओं में जानिए अब तक का हाल
1971 मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के रिश्तेदारों को नौकरियों में आरक्षण का विरोध शुरू हुआ।
नरसिगडी में प्रदर्शनकारियों ने जेल पर धावा बोलकर 850 से अधिक कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी थी।
देखते ही देखते प्रदर्शन पूरे बांग्लादेश में फैल गया। पुलिस से हालात काबू नहीं हुए तो सेना बुलाई गई। कर्फ्यू लगाया गया।
इसके बावजूद हिंसा नहीं थमी। शनिवार को आगजनी और झड़पों की छिटपुट घटनाएं सामने आईं। चार लोगों की मौत हुई।
कर्फ्यू के दौरान शनिवार दोपहर को जरूरी सामान की खरीदारी के लिए दो घंटे की छूट दी गई थी।
भारत समेत विभिन्न देशों ने बांग्लादेश में रह रहे अपने नागरिकों को अलर्ट किया और एडवाइजरी जारी की।
पूरे देश में इंटरनेट बंद कर दिया गया। न्यूज चैनलों का प्रसारण ठप हो गया। वेबसाइट्स भी अपडेट नहीं हुईं।
व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया हैंडल भी बंद रहे। फोन कॉल्स और SMS भी बंद।
बांग्लादेश में शुक्रवार को छुट्टी रहती है। सरकार ने रविवार और सोमवार को भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।
इस बीच, शांति के प्रयास तेज कर दिए गए। सरकार और प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को वार्ता हुई।
क्या अहम है रविवार का दिन
आरक्षण के इस मुद्दे पर कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है। दरअसल, 2018 में भी छात्रों का प्रदर्शन हुआ था और इसके बाद सरकार ने रोक लगा दी थी। इस पर मुक्ति संग्राम में शामिल लोगों के रिश्तेदारों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया। फिर केस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। यही कारण है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना में प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा है। यह अहम सुनवाई रविवार को होगी।