नहीं रहा छत्तीसगढ़ अचानकमार टाइगर रिजर्व का श्वान सिम्बा, शिकार व अंधे कत्ल के मामले सुलझाने में रहता था अहम रोल
उम्रदराज होने के कारण हुई स्वभाविक मौत, प्रबंधन ने किया अंतिम संस्कार अप्रैल २०२३ में हुआ था सेवानिवृत। श्वान ‘सिम्बा’ का जन्म 30 जनवरी 2015 को हुआ था। राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र (एनटीसीडी) बीएसएफ टेकनपुर ग्वालियर (मप्र) में सिम्बा ने प्रशिक्षण प्राप्ती की थी। यहां सिम्बा ने कुल दस माह तक प्रशिक्षण लिया। छत्तीसगढ़ अचानकमार टाईगर रिजर्व में 18.09.2017 से अपराधियों को पकड़ने में सिम्बा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
HIGHLIGHTS
- सिम्बा को क्रिमिनल केस सुलझाने में महारत हासिल था
- कई प्रकरणों को हल कर प्रशाासन का करता था सहयोग
- स्वभाविक मौत एटीआर प्रबंधन ने किया अंतिम संस्कार
बिलासपुर :- अचानकमार टाइगर रिजर्व का श्वान सिम्बा नहीं रहा। उम्रदराज हो चुके इसे खोजी डाग ने वन्य प्राणी शिकार, चोरी, अंधे कत्ल व अपहरण जैसे मामलों को सुलझाने में वन विभाग व पुलिस की मदद की थी। मौत के बाद एटीआर प्रबंधन ने शिवतराई स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर के पास अंतिम संस्कार किया गया। सिम्बा बेल्जियम मेलेनाइस प्रजाति का डाग था। इसे खरीदने के बाद अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने 10 माह की विशेष ट्रेनिंग के लिए नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फार डाग बीएसएफ टेकनपुर ग्वालियर भेजा था।
18 सितंबर 2017 से सेवा देने के लिए एटीआर में तैनात हुआ। इसकी मदद से एटीआर प्रबंधन ने वन्य प्राणी के शिकार व अन्य अपराधिक मामलों में अन्वेषण से संबंधित 62 प्रकरणों में 292 अपराधियों को सलाखों की पीछे पहुंचाया। पुलिस विभाग के लिए मददगार था। इसकी सर्चिंग से पुलिस ने 10 चोरी, अंधे कत्ल व अपहरण के 13 प्रकरणों में अपराधियों को गिरफ्तार किया।
पिछले साल हुआ था सेवानिवृत्त सिम्बा अप्रैल 2023 में सेवानिवृत्त हो गया। उसके सहयोग को ध्यान में रखते हुए अचानकमार टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय व डिप्टी डायरेक्टर यूआर गणेश ने रिटायरमेंट के बाद अंतिम सांस तक देखभाल करने के निर्देश कर्मचारियों को दिए। इसके बाद वनकर्मी सुरेश कुमार नवरंग उसकी विशेष देखभाल कर रहा था।