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बस्तर की फाइटर गर्ल, 10 नक्सलियों को ढेर किया फिर कॉलेज जाकर दी परीक्षा

नारायणपुर जिले के टेकमेटा में मंगलवार को हुए मुठभेड़ में सुरक्षा बल ने नक्सलियों के तीन डिविजन कमेटी स्तर के नेता सहित दस नक्सलियों को मार गिराया। नक्सलियों के विरुद्ध इस सफल अभियान में बस्तर की महिला कमांडो टीम भी सम्मिलित रही। इस टीम का हिस्सा बस्तर की फाइटर गर्ल प्रेरणा और दुर्गा (सुरक्षा कारण से बदला हुआ नाम) ने इस अभियान के तुरंत बाद सीधे हेलीकाप्टर से नारायणपुर मुख्यालय पहुंची और महाविद्यालय पहुंचकर स्नातक की परीक्षा में सम्मिलित हुई।

एक हाथ में बंदूक थामकर नक्सलियों के संहार कर वे बस्तर में शांति स्थापना का प्रयास तो कर ही रही हैं, दूसरे हाथ में किताबें थामकर आदिवासियों के माथे से अशिक्षित होने का कलंक पोंछने का काम भी कर रही हैं। वे कहती हैं कि बस्तर में नक्सलवाद के विरुद्ध शिक्षा सबसे बड़ा हथियार बन सकता है। ग्रामीण शिक्षित होंगे तो वे नक्सलियों के बहकावे में नहीं आएंगे और अपने अधिकारों के लिए लड़ने का हौसला उनमें जागेगा, तभी नक्सलवाद जड़ से खत्म होगा।

प्रेरणा और दुर्गा नारायणपुर के पास के अंदरूनी गांव में रहती हैं। लगातार नक्सलियों के अत्याचार से तंग आकर उन्होंने अपने हाथ में बंदूक थामने का निर्णय ले लिया और दो वर्ष पहले बस्तर फाइटर में भर्ती हो गईं। कड़े प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा बल से प्रेरित होकर उन्होंने पुलिस में बड़ा अफसर बनने का सपना देखा है।

इसी सपने को पूरा करने के लिए वे नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में सम्मिलित होने के साथ ही पढ़ाई भी कर रही है। दोनों के परिवार गांव में साधारण किसान है। वे बताती है कि सुरक्षा बल के गांव में आने से पहले नक्सलियों का प्रभाव था। नक्सली ग्रामीणों को परेशान करते थे। ग्रामीणों का राशन, उपज भी जबरदस्ती छिन लेते थे। कई ग्रामीणों की हत्या मुखबिरी के शक में कर दी गई। नक्सलियों के लगाए हुए प्रेशर बम विस्फोट में भी ग्रामीण मारे गए।

वे बताती हैं कि अंदरुनी गांव में नक्सलियों का प्रभाव बढ़ जाने के बाद उनके गांव के स्कूल, अस्पताल व अन्य सरकारी भवन तोड़ दिए गए। बस्तर के हजारों बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीनकर नक्सल संगठन में भर्ती कराया गया। नक्सलवाद का कुत्सित चेहरा देखने के बाद ही बस्तर में शांति की स्थापना के लिए हथियार उठाने का निर्णय लिया और सुरक्षा बल में भर्ती हो गए। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए जो बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है, इसका हिस्सा बनकर वे गौरवान्वित महसूस करती हैं, पर यह भी मानती हैं कि नक्सलवाद का हल हिंसा से नहीं निकल सकता।

Upendra Pandey

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