लादेन का भाई बना रहे हैं दुनिया का सबसे लंबा झूलता हुआ पुल? 100 अरब पाउंड का मेगा प्रोजेक्ट, जानें योजना
लाल सागर में पुल बनाने और शहर बसाने का महाप्लान शेख तारेक बिन लादेन ने तैयार किया है। हालांकि अभी इसकी सिर्फ योजना ही बन रही है। फिलहाल हमास-इजरायल के युद्ध की वजह से लाल सागर में हूती विद्रोही जहाजों पर हमले कर रहे हैं और ये अशांत है। ऐसे में इसके बढ़ने में देरी हो सकती है।
लंदन: ओसामा बिन लादेन के सौतेले भाई शेख तारेक बिन लादेन ने दुनिया के सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज (झूलता हुआ पुल) बनाने की योजना बनाई है। लाल सागर के ऊपर 20 मील तक ब्रिज बनाने के शेख तारेक बिन लादेन के अरबों पाउंड के प्लान के पीछे अफ्रीका को मध्य पूर्व से जोड़ने की महत्वाकांक्षी सोच है। इसे “ब्रिज ऑफ द हॉर्न्स” का नाम दिया गया है। इसमें चार खंभों के साथ कॉजवे और सस्पेंशन ब्रिज का कॉम्बिनेशन होने की उम्मीद है। यह ब्रिज अल नूर प्रोजोक्ट का ही हिस्सा है।
द सन की रिपोर्ट कहती है कि ये ब्रिज सड़क और रेल क्रॉसिंग वाला हिस्सा छह लेन का एक बड़ा रास्ता होगा, जिससे हर दिन एक लाख वाहन गुजर सकेंगे। बाकी चार हल्की रेल लाइनों से प्रतिदिन 50,000 यात्री गुजरेंगे। इसके साथ गैस और पानी की पाइपलाइनें भी गुजरेंगी। यह भारी संख्या में जहाजों को भी समायोजित करेगा, जो स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर से गुजरते हैं। बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य का पानी 300 मीटर तक गहरा है, इसलिए संरचना को सहारा देने के लिए पुल के टॉवर 700 मीटर ऊंचे होंगे, जो 400 मीटर पानी से ऊपर होंगे।
ब्रिज के दोनों छोर पर बनेंगे दो शहर
ब्रिज ऑफ द हॉर्न्स के दोनों छोर पर दो नए शहर भी बनाए जाएंगे। इनमें एक जिबूती में और दूसरा यमन में होगा। “अल-नूर शहर” नाम की यह योजना 15 साल में जिबूती की ओर 25 लाख लोगों का शहर और यमन की ओर 45 लाख लोगों का एक शहर बनाने की है। शेख बिन लादेन का कहना है कि ये शहर स्थिरता और मानवीय मूल्यों के मॉडल होंगे, जो पूरी तरह हरित प्रौद्योगिकियों के साथ बनेंगे और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संचालित होंगे। इनमें बेहतरीन अस्पताल, स्कूल, विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय और खेल सुविधाएं होंगी।
इन शहरों का उद्देश्य छोटे जिबूती को बहुत जरूरी आर्थिक स्थिरता प्रदान करना है। इससे अफ्रीका और मध्य पूर्व के बीच एक प्रमुख आर्थिक केंद्र में बदला जा सके। इथियोपिया ने इरिट्रिया की आजादी के बाद समुद्री पहुंच खो दी थी। इसलिए इथियोपिया अब जिबूती को बाहरी दुनिया के लिए अपने मुख्य शिपिंग बंदरगाह के रूप में उपयोग करता है। इसके पूरा होने के बाद दोनों शहर अन्य 98 शहरों के लिए मॉडल होंगे।
प्रोजेक्ट पर कुछ कहना अभी जल्दीबादी
ब्रिज ऑफ द हॉर्न्स के प्रत्येक छोर पर नियोजित कस्बों के अलावा, सीरिया, मिस्र, सूडान और सऊदी अरब के मक्का-जेद्दा गलियारे के लिए अल-नूर शहरों का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जिबूती सरकार आगे बढ़ने के लिए उत्सुक दिख रही है। उसने पहले ही अपने हिस्से में अल-नूर महानगर के निर्माण के लिए सैकड़ों वर्ग मील भूमि तय की है। परियोजना में पहले से ही लाखों का निवेश करने के बावजूद शेख बिन लादेन की महत्वाकांक्षा अभी भी एक सपने की तरह ही है।
यह प्रोजेक्ट अभी योजना के चरण में ही है क्योंकि इसकी शुरुआत 16 साल पहले 2008 में की गई थी। अभी ना तो यमनी और न ही जिबूती सरकार ने अल-नूर को आगे बढ़ने की अनुमति देने वाले एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। एक्सपर्ट को अभी इस परियोजना के पूरा होने पर संदेह है और इसकी कई वजह हैं। पुल को सैकड़ों मील दूर अदीस अबाबा, नैरोबी, जेद्दा, दुबई और रियाद जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ने के लिए नए राजमार्ग और रेलवे का निर्माण करना होगा।