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सर्वार्थसिद्धि योग में मनाई जा रही नरक चतुर्दशी, शुभमुहूर्त में होगी यम देव की पूजा

जबलपुर :- दीपोत्सव के दूसरे दिन आज सर्वार्थसिद्धि सहित अन्य शुभयोगों संयोग में नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। इसे रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी पर यमराज के अलावा भगवान हनुमान, श्रीकृष्ण, काली, शिव और भगवान वामन की पूजा की जाएगी।

मान्यता के अनुसार इस दिन इन छह देवी-देवताओं की पूजा करने से समस्त प्रकार की परेशानियां मिट जाती हैं। वहीं तिथि भेद के चलते रूप चतुर्दशी का अभ्यंग स्नान गुरुवार को दीपावली के दिन प्रातः सूर्योदय के साथ होगा।

नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त (30 अक्टूबर) –

हस्त नक्षत्र- रात्रि 10.12 बजे तक, इसके उपरांत चित्रा नक्षत्र रहेगा।
ब्रम्ह मुहूर्त – तड़के 4.22 से सुबह 5.16 बजे तक
विजय मुहूर्त -दोपहर 1.34 से दोपहर 2.19 बजे तक
गोधूलि बेला मुहूर्त- शाम 5.18 से शाम 5.44 बजे तक
निशिथकाल-रात्रि 11.16 से रात 12.07 बजे तक
अमृत काल – दोपहर 2.56 से 4.45 बजे तक
प्रात : संध्या काल – प्रात: 4.48 से 6.05 बजे तक
सायं संध्या काल- शाम 5.18 से 6.25 तक
गौ दान मुहूर्त- दोपहर 12.00 से 1.30 बजे तक

नर्मदा किनारे होगा दीपदान
रूपचौदस की शाम को यमराज के लिए दीपदान की प्रथा है। बुधवार की शाम को नर्मदा के सभी तटों पर दीपदान करने वालों का मेला लगेगा। खासकर गौरीघाट में बड़ी संख्या में लोग दीपदान के लिए पहुंचेंगे। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन सूर्योदय के साथ ही तेल लगाकर व अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर नहाने से नरक से मुक्ति मिलती है।

विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के दर्शन का विशेष फल माना गया है।

उबटन लगाकर निखारेंगी रूप
रूप चौदस को महिलाएं सूर्योदय के पूर्व उबटन लगाएंगी सूर्योदय के साथ स्नान के बाद पूजन करेंगी। मान्यता है कि इससे रूप निखरता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ सजेंगी।

आज गौरीघाट दीपों से जगमगाएगा
गौरीघाट में सायं छह बजे से लेजर-शो मन मोहेगा। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के आह्वान पर दीपावली की पूर्व संध्या पर बुधवार, 30 अक्टूबर को शाम छह बजे से संस्कारधानी जबलपुर के गौरीघाट पर पूरी भव्यता और दिव्यता के साथ नर्मदा दीपोत्सव आयोजित होगा।

दीपावली के लिए बाजार में किड्स फ्रेंडली पटाखे उपलब्ध
दीपावली मिठाई, दीयों की रोशनी, रंगोली का पर्व है। हर कोई दीवाली की तैयारी में जुटा है। दीवाली के लिए बाजार में घर की सजावट से लेकर जरूरत की तमाम सामग्री उपलब्ध है। इस त्योहार का मजा दोगुना तब होता है, जब पूजन के बाद पटाखों की लडि़यां फोड़ी जाती हैं।

पूरा बाजार पटाखों की वेरायटी से गुलजार
दीपावली को लेकर पूरा बाजार पटाखों की वेरायटी से गुलजार है। बाजार में किड्स फ्रेंडली पटाखों की भरमार है। पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर इस बार कम आवाज वाले पटाखे लोगों की पसंद में शामिल हैं। बाजार में किड्स फ्रेंडली पटाखे भी उपलब्ध हैं।

तीन फीट लंबी फुलझड़ी आकर्षण का केंद्र
देसी पटाखों में भी कई तरह के इनोवेशन देखने को मिल रहे हैं। तीन फीट लंबी फुलझड़ी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह मल्टीकलर में जलने के साथ लंबे समय तक लाइटिंग देती है। बच्चों को कार्टून कैरेक्टर वाले ग्रीन पटाखे व सीटी की आवाज निकालने चकरी भा रही है। ग्रीन फुलझड़ी से लेकर राकेट व तेज आवाज वाले बम, चकरघिन्नी भी ग्राहक को लुभा रहे हैं।

ईको फ्रेंडली पटाखों की धूम
अभिषेक तिवारी ने बताया कि इस बार ईको फ्रेंडली पटाखे बाजार में आए हैं। इसमें भारत टैंक, चााकलेट, हैलीकाप्टर, फोटो फ्लैश, टावर अनार, रेलवे सिग्नल अनार, कलर चेंजिंग बटर फ्लाई, कोठी, फुलझड़ी, मैजिक विप क्रेकलिंग आदि प्रमुख हैं।

एक साथ छह राउंड तक फायर कर सकती
रिंगकेक गन में विशेष प्रकार की टिकड़ी लगेगी, जो बच्चों के लिए सुरक्षित है। इसकी खासियत यह है कि यह एक साथ छह राउंड तक फायर कर सकती है। फुलझड़ियां भी ईको फ्रेंडली आईं हैं, इनमें से कलर निकलेगा। इस दौरान धुआं नहीं होगा। 240 स्काई शाट की भी ग्राहकों में खासी मांग हैं। मोस्ट वांटेड पटाखे के एक पैकेट में तीन प्रकार की आतिशबाजी होगी । लालीपोप और कोल्ड ड्रिंक स्टाइल में अनार आए है, जिसमें रंग निकलेगा।

बच्चों की पसंद आते हैं पटाखे
श्याम सोनी के अनुसार बच्चों को पटाखे चलाने का बहुत शौक है। इस बार मार्केट में किड्स फ्रेंडली पटाखे आए है। जो बच्चों को भा रहे है। दीपावली के अवसर पर बाजार सजा हुआ है। सजावटी सामान की भी काफी सारी वैरायटी उपलब्ध है।

दीपावली के दिन मार्केट में बहुत भीड़
हर उम्र वर्ग के हिसाब से पटाखे है। दीपावली के दिन मार्केट में बहुत भीड़ होती है, इसलिए पहले ही पटाखे खरीद लिए। पटाखे मैदान में चलाते है। दीपावली में दुर्घटना होने की बहुत संभावना रहती है। इसलिए सभी काे सावधानी भी रखनी होती है।

ईको फ्रेंडली पापकार्न चलाने पर रंग-बिरंगे पापकार्न
चकरी में भी इस बार अलग-अलग रंग निकलेगा। मैजिक पाप अनार में (सिक्कों के रूप में) चिंगारियां निकलेंगी। ईको फ्रेंडली पापकार्न चलाने पर रंग-बिरंगे पापकार्न चमकते हुए निकलते हैं।

आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि का पूजन कर मनाई धनतेरस
प्रकाश के पंचदिनी महापर्व दीपोत्सव का शुभारंभ मंगलवार को धनतेरस के साथ हुआ। धनतेरस पर देवताओं के वैद्य भगवान धनवंतरि की पूजा की गई। चिकित्सा से जुड़े लोग खासकर वैद्य व डाक्टरों ने पूरी श्रृद्धा के साथ भगवान धनवंतरि की पूजा की।

लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां खरीदी, दीपावली में पूजा होगी
इस वर्ष धनतेरस पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग यानी त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग बना था। इस दुर्लभ संयोग में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश का पूजन किया गया। घर, दुकान, प्रतिष्ठान में धन के देवता कुबेर की विशेष कृपा के लिए उनकी आराधना की गई।

घरों से लेकर दुकानों तक रंगोली डाली गई
आकर्षक रोशनी व सजावट की गई। दीपक प्रज्ज्वलित किये गए । यमराज के लिए नर्मदा में दीपदान किया गया। चारों ओर दीपोत्सव के शुभारंभ पर उत्साह नजर आया।

लक्ष्मी के साथ शिव आराधना भी
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की प्रदोष काल में पूजा आराधना की गई। त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के संयोग में माता लक्ष्मी के साथ भगवान शिव का भी पूजन किया गया। मंगलवार होने के कारण मान्यतानुसार सोने-चांदी के सिक्के व बर्तन खरीदकर उनका पूजन किया गया।

द्वार पर जलाए 13 दीप
परम्परानुसार धनतेरस के दिन बड़ी संख्या में लोगों ने नर्मदा तट गौरीघाट व तिलवाराघाट पहुंचकर दीपदान किया।अकाल मृत्यु की आशंका टालने के लिए घरों में भी यह परम्परा निभाई गई। शाम को मुख्य द्वार पर 13 और 13 ही दीप घर के अंदर जलाये गए। मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाया गया। परम्परा के तहत इस दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया गया। कुछ लोगों ने सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म करने के लिए घर मे दीपक घुमाया।

51 हजार दीपों और लेजर-शो
इस वर्ष जबलपुर वासियों के सहयोग से 51 हजार दीपों और लेजर-शो से होने जा रहा मां नर्मदा का अलौकिक श्रृंगार विरासत एवं विकास का अद्भुत संगम होगा। जिसमे सभी साधु संत, जनप्रतिनिधि, गणमान्य जन एवं जबलपुरवासी सम्मलित होकर एक एक दीप मां नर्मदा के तट पर प्रज्वलित करेंगे। लोक निर्माण मंत्री सिंह ने इस अदभुत कार्यक्रम में सभी संस्कारधानी वासियों से उपस्थिति का आग्रह किया है।

आतिशबाजी का क्रम आरम्भ
धनतेरस की पूजा के बाद से ही शहर में दीपोत्सव की आतिशबाजी का क्रम आरम्भ हो गया। शाम ढलते ही शुरू हुई आतिशबाजी की गूंज देर रात तक जारी रही। युवाओं व बच्चों में पर्व को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है।

Upendra Pandey

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