रूप चतुर्दशी पर दीपदान और अभ्यंग्य स्नान के लिए अलग-अलग दिन, नोट करें शुभ समय
इंदौर :- पंच पर्व का धनतेरस के बाद दूसरा त्योहार रूप चतुर्दशी है। इसमें इस वर्ष अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए चतुर्दशी का दीपदान और रूप सौंदर्य के लिए अभ्यंग स्नान अलग-अलग दिन है। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस दिन यमराज के साथ भगवान कृष्ण और मां काली का भी पूजन किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वधकर 16 हजार गोपियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था।
धार्मिक पक्ष भी जानें
धार्मिक पक्ष यह भी है कि नरक चतुर्दशी की शाम को यमराज, मां काली और हनुमान जी की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर चार बत्तियों का दीपक जलाकर यमराज का ध्यान करते हुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपदान करना चाहिए। माना जाता है कि इससे उस घर में अकाल मृत्यु का संकट नहीं आता है।
यह है चौदस की मान्यता
रूप चतुर्दशी के बारे में कहा जाता है कि इस दिन अभ्यंग और स्नान को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्योदय से पहले उठ कर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद हल्दी, चंदन, बेसन, शहद, केसर और दूध से उबटन बनाकर उसका उपयोग किया जाए , फिर स्नान करके पूजन करी जाए तो रूप चौदस के दिन इस उपाय को करने से व्यक्ति का सौंदर्य वर्षों तक कायम रहता है।
रूप चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का समय
- काली मंदिर के पुजारी आचार्य शिवप्रसाद तिवारी बताते हैं कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे होगी जो अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3.52 बजे तक रहेगी।
- चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है अभ्यंग्य स्नान के लिए शुभ समय 31 को सुबह 5.20 से 6.32 बजे तक एक घंटा 13 मिनिट रहेगा।
- चतुर्दशी तिथि प्रदोषकाल में 30 को रहेगी। इसके चलते 30 को सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाया जाता है। दीपक घर का सबसे बड़े सदस्य चौमुखी दीपक को जलाकर घर में चारों ओर घूमाया जाता है।
- ज्योतिर्विद् कान्हा जोशी ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार इस दिन उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग कर रूप सौंदर्य की कामना से स्नान किया जाता है।
- अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान लक्ष्मी पूजा दिवस से एक दिन पूर्व अथवा उसी दिन हो सकता है।
- जिस समय चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पूर्व प्रबल होती है तथा अमावस्या तिथि सूर्यास्त के पश्चात प्रबल होती है तो नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन पड़ती है।
- अभ्यंग स्नान सूर्योदय से पूर्व चतुर्दशी तिथि में किया जाता है। उदया तिथि में चतुर्दर्शी 31 अक्टूबर को होगी।इसके अतिरिक्त चतुर्दशी का दीपदान एक दिन पहले प्रदोषकाल में 30 को किया जा सकता है।