उत्तर प्रदेश उपचुनाव की 9 में से 7 सीट के लिए भाजपा ने घोषित किए प्रत्याशी, गाजियाबाद से संजीव शर्मा को टिकट, देखिए लिस्ट
लखनऊ :- उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है। पार्टी ने अभी 7 सीटों पर प्रत्याशियों का एलान किया है। शेष 2 में कानपुर की सीसामऊ सीट पर अभी प्रत्यासी घोषित नहीं किया गया है। भाजपा ने एक सीट मीरापुर सहयोगी रालोद के लिए छोड़ी है।
भाजपा ने गाजियाबाद से संजीव शर्मा को टिकट दिया है। वहीं कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा गया है।
अनुसूचित जाति की सीट खैर पर सुरेंद्र दिलेर को मौका दिया गया है। सुरेंद्र भाजपा के पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के बेटे हैं। करहल सीट से अनुजेश यादव चुनाव लड़ेंगे। अनुजेश, धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं और बड़े राजनीतिक घराने से आते हैं।
फूलपुर से दीपक पटेल को मैदान में उतारा गया है। दीपक पटेल पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे हैं और पूर्व में बसपा से विधायक रहे हैं।
कटेहरी सीट पर निषाद पार्टी का दावा बताया जा रहा था, लेकिन भाजपा ने धर्मराज निषाद पर दांव खेला है।धर्मराज निषाद पूर्व में बसपा में थे। 3 बार विधायक और बसपा सरकार में मंत्री भी रहे। 2022 से पहले भाजपा में आए थे और चुनाव हार गए थे। अब भाजपा ने फिर मौका दिया है।
इसी तरह मझवां सीट पर सुचिस्मिता मौर्य को उतारा गया है। सुचिस्मिता पूर्व में भाजपा से विधायक रही हैं। वर्ष 2022 में सीट निषाद पार्टी को दे दी गई थी। इस बार मझवां से भाजपा फिर उन्हें लड़ा रही है।
यूपी की इन 9 सीटों पर होना है विधानसभा उपचुनाव
- करहल
- सीसामऊ
- कुंदरकी
- गाजियाबाद
- फूलपुरट
- मझवां
- कटेहरी
- खैर
- मीरापुर
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच स्थिति स्पष्ट नहीं
वहीं, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उपचुनाव मिलकर लड़ने को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है। एक दिन पहले ही अखिलेश यादव ने कहा था कि सभी 9 सीटों पर इंडी गठबंधन के उम्मीदवार साइकिल (समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह) निशान पर लड़ेंगे।
अब कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कई नेता इस फैसले से नाराज है। किसी भी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला राहुल गांधी ने दिल्ली में बैठकर लिया है।
दरअसल, कांग्रेस ने तय किया था कि वह पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, लेकिन यदि इस पर समाजवादी पार्टी से सहमति नहीं बनी, तो किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी। यही फैसला अब केंद्रीय नेतृत्व ने किया है, लेकिन कांग्रेस द्वारा इस तरह पूरा मैदान छोड़ देना सवालों के घेरे में है।