पितृ पक्ष की अष्टमी पर आज गजलक्ष्मी की पूजा… इस दिन खरीदा सोना, तो 8 गुना बढ़ जाएगा
ग्वालियर :- पितृ पक्ष की अष्टमी पर सौभाग्य की देवी महालक्ष्मी की गजलक्ष्मी की पूजा की जाती है। गजलक्ष्मी की इस पूजा का दीपावली पर किए जाने वाले महालक्ष्मी पूजन से अधिक महत्व है। इस दिन कुंभकार (कुम्हार) से मिट्टी के हाथी पर सवार महालक्ष्मी की प्रतिमा लेकर उसे स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत कर विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि महालक्ष्मी व्रत को गजलक्ष्मी और हाथी पूजा भी कहा जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ हो जाता है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर इसका समापन होता है।
यह व्रत कम से कम 16 दिनों तक रखा जाता है। ऐसे में यह 16 दिन माता लक्ष्मी का आराधना के लिए समर्पित हैं। माता लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में जिस भी व्यक्ति पर लक्ष्मी की कृपा होती है उसे जीवन में धन संबंधी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।
महालक्ष्मी व्रत: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि
- महालक्ष्मी व्रत सायं कालीन और रात्रिकालीन व्रत होता है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 24 सितंबर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट बजे से होगा तथा समापन 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 बजे होगा।
- ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा के अनुसार, यह व्रत 24 सितंबर को रखा जाएगा। इस व्रत में हाथी पर विराजित मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसलिए इसे हाथी अष्टमी या हाथी पूजन भी कहा जाता है।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रखें कि इस दिन मिट्टी से बने हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की मूर्ति का पूजन किया जाता है।
- फिर मां लक्ष्मी को फूलों का हार पहनाएं और सिंदूर से तिलक करें। इसके बाद चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल अर्पित करें। पूजा के दौरान सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखें।
- इसके बाद धूप-दीप जलाएं और फिर इसी विधि-विधान से हाथी की भी पूजा करें। अंत में भोग लगाएं और मां लक्ष्मी कथा व आरती करें। आखिरी में मां को प्रणाम कर धन-वैभव का आशीर्वाद मांगे।
इस दिन खरीदे गए सोने में 8 गुना की वृद्धि होती है
पितृ पक्ष में नये कपड़े सहित भोग-विलासिता की वस्तुओं की खरीदारी को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष की अष्टमी के दिन गजलक्ष्मी की पूजा के अवसर पर खरीदा गये सोने में आठ गुना की वृद्धि होती है।इसके साथ ही देवउठनी एकादशी के बाद होने वाले विवाह के लिए सामान खरीदना भी शुभ माना जाता है।