अडानी ने लगाई सबसे ऊंची बोली, केएसके महानदी पावर प्लांट बिक्री के कगार पर
एचएमएस यूनियन के महामंत्री बलराम गोस्वामी का कहना है कि केएसके पावर प्लांट की खरीदी देश की किसी नामी कंपनी द्वारा किए जाने से यहां अधूरे पड़े 18 सौ मेगा वाट के 3 यूनिटों का निर्माण होने की संभावना बढ़ जाएगी। 3 यूनिट का निर्माण हो जाने से लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। यहां कार्यरत कर्मचारियों की मांगे अधूरी है वह पूरी हो सकती है।
HIGHLIGHTS
- अकलतरा तहसील के नरियरा इलाके में 27 सौ एकड़ क्षेत्रफल में वर्ष 2008 में प्लांट स्थापित किया गया था
- केएसके महानदी पॉवर कंपनी लिमिटेड पर बैंकों का तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
- देश के वेदांता, अदानी और जिंदल उद्योग समूह सहित कई कार्पोरेट सेक्टर ने रुचि दिखाई
जांजगीर- चांपा:- छह साल से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के अधीन काम कर रही केएसके महानदी पॉवर कंपनी लिमिटेड बिकने की कगार पर है और अदानी पावर ने इसके लिए 27 हजार करोड़ की ऊंची बोली लगाई है। डेढ़ से दो माह में बिक्री की प्रक्रिया पूरी हो सकती है। कंपनी पर बैंकों का तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। कर्ज से उबरने और देनदारी चुकाने के लिए कंपनी ने पॉवर प्लांट बेचने का फैसला लिया है।
डेढ़ से दो माह में कंपनी की बिक्री की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी
प्लांट को खरीदने के लिए देश के वेदांता, अदानी और जिंदल उद्योग समूह सहित कई कार्पोरेट सेक्टर ने रुचि दिखाई है। पूर्व में जिंदल समूह के नवीन जिंदल ने प्लांट का दौरा किया था। वहीं अदानी ने इस बार सर्वाधिक 27 हजार करोड़ की बोली लगाई है। इसके अलावा एनटीपीसी , कोल इंडिया, वेदांता , जेएसडब्ल्यू एनर्जी, रश्मि मेटालिक्स सहित कुल 10 कंपनियों ने केएसके महानदी पावर प्लांट को खरीदने में रूचि दिखाई है। एनटीपीसी में 22 हजार 2 सौ करोड़ रूपए में प्लांट को खरीदने का प्रस्ताव दिया है। जानकारों का कहना है कि डेढ़ से दो माह में कंपनी की बिक्री की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
कंपनी पर 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज
जांजगीर-चांपा जिले में अकलतरा तहसील के नरियरा इलाके में 27 सौ एकड़ क्षेत्र फल में वर्ष 2008 में प्लांट स्थापित किया गया था। दरअसल, 6 गुणा 600 कुल 36 सौ मेगावाट बिजली उत्पादन के प्लांट स्थापित किए जाने थे मगर सिर्फ तीन यूनिट ही स्थापित हो सकी, जबकि 16 साल बाद भी तीन यूनिट का निर्माण अधूरा है। फिलहाल, कुल 18 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। प्लांट की स्थापना के दौर से ही भू-अर्जन, मुआवजा व पुनर्वास राशि को लेकर विवाद चल रहा है। इससे 600-600 मेगावाट की तीन यूनिट का निर्माण ही नहीं हो सका। कंपनी का खुद का कोल ब्लाक नहीं होने के कारण महंगे दामों पर कोयला खरीदना पड़ रहा है। लगातार घाटे में चलने के कारण कंपनी पर 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। प्लांट का संचालन ट्रिब्यूनल पिछले 6 साल से कर रही है।
रिजाल्यूशन प्रोफेशनल (समाधान पेशेवर) की नियुक्ति
कर्ज वसूली के लिए कंपनी की बिक्री की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इसके लिए रिजाल्यूशन प्रोफेशनल (समाधान पेशेवर) की नियुक्ति भी की गई है। क्यों घाटे में हैं कंपनी कंपनी शुरुआती दौर से ही विभिन्न विवादों में घिर गई। रोगदा बांध के अधिग्रहण मामले की जांच के लिए विधानसभा स्तरीय समिति भी बनी थी। आए दिन श्रमिकों की हड़ताल, मजदूर व प्रबंधन के बीच हिंसात्मक झड़प, प्लांट के कई बार बंद होने जैसे कारणों से कंपनी को नुकसान उठाना पड़ा।