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दिल्‍ली हादसे से रायपुर के कोचिंग सेंटर्स नहीं ले रहे सबक, सुरक्षा मानकाें की खुलेआम कर रहे अनदेखी, पढ़िए आंखें खोल देने वाली सच्‍चाई

रायपुर में संचालित बड़े कोचिंग संस्थान जहां पर लाखों रुपये से अधिक वार्षिक शुल्क है। वहां पर कुछ सुरक्षा मानकों का ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन पूरे मानक वहां भी नहीं पूरे हो रहे हैं। शहर में जिन कोचिंग संस्थानों के जगह-जगह पोस्टर, बोर्ड देखने को मिल रहे हैं, वो भी सिर्फ तीन से चार कमरों में सिमटकर रह गए हैं।

HIGHLIGHTS

  • कोचिंग सेंटर्स में साइकिल, गाड़ी के लिए पार्किंग नहीं
  • सीसीटीवी कैमरा, फायर सेफ्टी का भी इंतजाम नहीं
  • जांच पड़ताल किए बगैर बच्चों को पढ़ने भेज रहे पेरेंट्स

दिल्‍ली में आईएएस कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद अब रायपुर के भी कई कोचिंग संस्‍थानों की पोल खुल रही है। रायपुर में संचालित कोचिंग संस्थानों पर सरकार का किसी भी तरह नियंत्रण (लगाम) नहीं है। कोचिंग संस्थान पूरी तरह से बेलगाम है। यहां पर पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा भी भगवान के भरोसे हैं। अधिकतर कोचिंग संस्थान खुद के अथवा किराए के मकान में दो या तीन कमरों में चल रहे हैं।

कोचिंग संस्थानों के लिए तय मानकों में से यहां पर एक भी मानक पूरे नहीं हैं। जिम्मेदार भी पूरी तरह से अनभिज्ञ है। जिम्मेदार अधिकारी भी घटना होने का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली के कोचिंग में हुए दर्दनाक हादसे के बाद देशभर में कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा मानकों को लेकर बहस छिड़ गई है।

शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों की पड़ताल की, तो यहां पर भी चौकाने वाली स्थिति सामने आई है। बहुत सारे कोचिंग संस्थान सकरी गलियों में दूसरे और तीसरे मंजिल में चल रहे हैं। यहां पर यहां पर साइकिल अथवा गाड़ी पार्क करने के लिए जगह नहीं हैं। दिन में भी रात जैसा अंधेरा कमरे में रहता है। बाहर की रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है।

शहर में संचालित बड़े कोचिंग संस्थान जहां पर लाखों रुपये से अधिक वार्षिक शुल्क है। वहां पर कुछ सुरक्षा मानकों का ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन पूरे मानक वहां भी नहीं पूरे हो रहे हैं। शहर में जिन कोचिंग संस्थानों के जगह-जगह पोस्टर, बोर्ड देखने को मिल रहे हैं, वो भी सिर्फ तीन से चार कमरों में सिमटकर रह गए हैं। अभिभावक भी बिना जांच पड़ताल किए बगैर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहे हैं।

कोचिंग खोलने के लिए गुमास्ता लाइसेंस अनिवार्य
शहर में कोचिंग खोलने के लिए नगर निगम की तरफ से गुमास्ता लाइसेंस दिया जाता है। गुमास्ता देने के दौरान भी किसी भी तरह की जांच पड़ताल नहीं की जाती है। गुमास्ता लाइसेंस में भी कोचिंग खोलने की जानकारी नहीं रहती है, सिर्फ व्यावसायिक संस्थान के नाम से गुमास्ता लाइसेंस जारी होते हैं। नगर निगम के पास सिर्फ 33 कोचिंग संस्थान होने की जानकारी है। शहर में छोटे-बड़े संस्थान मिलाकर 100 से अधिक है।

एक कमरे में चल रहा संस्थान
भावना नगर में एमवी करियर इंस्टीट्यूट के नाम से कोचिंग संस्थान खुला है। यहां पर जेईई, नीट, ओलिंपियाड समेत अन्य प्रवेश व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने का बोर्ड में उल्लेख है। कोचिंग के अंदर घुसने के बाद पता चलता है कि सिर्फ एक कमरा है, जहां पर 10 से 12 विद्यार्थी बैठकर पढ़ रहे हैं। यहां सुरक्षा के किसी भी तरह के कोई इंतजाम नहीं है।

घर में खुली कोचिंग, पार्किंग की व्यवस्था नहीं
शैलेंद्र नगर वसु कोचिंग इंस्टीट्यूट है। कोचिंग सेंटर के पोस्टर जगह-जगह लगे हुए हैं, लेकिन कोचिंग संस्थान सिर्फ छोटे से मकान में चल रही है। पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। बोर्ड में जेईई, नीट, यूपीएससी, सीजीपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेल्वे समेत अन्य प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने का जिक्र है। दो मंजिला मकान में सिर्फ तीन से चार कमरे होंगे। यहां पर भी सुरक्षा के एक भी मानक पूर्ण नहीं है।

नवमीं से बारहवीं कक्षा की कोचिंग जगह-जगह
नवमीं से बारहवीं कक्षा की कोचिंग की संख्या बता पाना मुश्किल है। एक मोहल्ले में ही चार से पांच कोचिंग सेंटर है। इन जगहों पर भी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं। लेकिन सुरक्षा का किसी भी तरह का कोई इंतजाम नहीं है।

Upendra Pandey

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