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Korba News: चार साल में 1.78 हजार टन बढ़ी रासायनिक खाद की खपत

खरीफ वर्ष के लिए 17,100 टन भंडारण की तैयारी0 जैविक व गोबर खाद की परंपरा में कमी0 उपज लागत में 20 प्रतिशत वृद्धि से किसान परेशान

कोरबा:- रासायनिक खाद की खपत में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020 में 15.32 हजार टन का भंडारण लक्ष्य था जो वर्ष 2024 में बढ़कर 17 हजार 100 टन हो गया है। पिछले चार साल में 1.78 हजार खपत में वृद्धि हई है। भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े गोठानों की वजह से पारंपरिक गोबर व जैविक खाद का किसानों को लाभ नहीं मिला। धान की कीमत में भले ही सरकार ने भले ही वृद्धि की है लेकिन रासायनिक खाद की उपयोगिता और निर्भरता ने किसानों की लागत 20 प्रतिशत बढ़ा दी है। मानसून आगमन की आस को लेकर किसानों ने खरीफ फसल की तैयारी शुरू कर दी है। पहले की तरह खेतों में अब गोबर खाद डालने की परंपरा अब लगभग लुप्त होने लगी है। मवेशियों की संख्या में लगातार हो रही कमी ने खेतों को गोबर खाद से दूर कर दिया है।

पारंपरिक खाद की बजाए अब रसायनिक खाद की उपयोगिता पर किसानों की निर्भरता बढ़ी है। विडंबना यह भी किसानों की ओर जिस तादात में खाद की मांग बढ़ रही है वह समय रहते पूरा नहीं होता। खाद भंडारण के लिए जिले में रैकपाईंट की समस्या है। जिले के लिए आज भी खाद की आपूर्ति जांजगीर व बिलासपुर के रेलवे रैकपाईंट से होती है। भंडारण में आत्म निर्भर नहीं होने की वजह से जब आवश्यकता रहती है, तब किसानों को खाद नहीं मिलता। उन्हे निजी विक्रेताओं से खरीदी करनी पड़ती है।

सरकारी दर से अधिक कीमत में खरीदी करने पर बढ़े लागत मूल्य समस्या से किसानों को गुजरना पड़ता है। जिले में सिंचाई की सुविधा से अधिकांश किसान वंचित है। मानसून शुरू होने के पहले भले ही अधिकारियों की ओर से अधिकारिक तौर पर खाद पर्याप्त होने का दावा किया जाता है किंतु जब खाद का उठाव शुरू होने के बाद वांछित आवश्यकता के अनुसार पूर्ति नहीं हो पाती।

मानसून आधारित खेती की जाती है। वर्षा नहीं होने की स्थिति में किसानों को उपज से वंचित होना पड़ता है। नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना बंद कांग्रेस सरकार की महत्वपूर्ण नरवा गरवा घुरूवा बाड़ी योजना से कृषि में बेहतरी की संभावना जताई जा रही थी। योजना शुरू होकर बंद भी हो चुकी है, सूखा व जैविक खाद बनाने वाले महिलाओं को पिछला भुगतान पाने के लिए अब जनपदों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। भले ही योजना को मूर्त रूप देने के लिए कांग्रेस की भूपेश सरकार ने गोबर खाद की उपयोगिता को बढ़ावा देने का काम तो किया लेकिन सड़कों पर बेसहारा घूम रहे मवेशियों गोठान में लाने के लिए सफलता नहीं मिली।

गौ व भैंस वंशीय मवेशियों की संख्या में वृद्धि की दिशा में कारगर काम नहीं किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा से गोठान बनाने का निर्देश दिया गया है किंतु राशि आवंटन के अभाव में योजना मूर्त रूप नहीं ले पाया है। मिट्टी परीक्षण के लिए 10002 किसानों ने दिया नमूना किसानों को मिट्टी परीक्षण के बारे में जानकारी नहीं है। परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर रासायनिक खाद डालने का नियम है।

Upendra Pandey

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