मध्यप्रदेश में अब तेज होगी समान नागरिक संहिता विधेयक बनाने की तैयारी
मध्यप्रदेश मे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यूसीसी मध्य प्रदेश में लागू करने के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के कारण विधेयक बनाने की तैयारी धीमी पड़ गई थी
सौरभ सोनी,भोपाल:- लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब मध्य प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक बनाने की तैयारी तेज होगी। इससे पहले उत्तराखंड समान नागरिक संहिता कानून अधिसूचित करने वाला देश का पहला राज्य बना है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिसंबर, 2022 में यूसीसी मध्य प्रदेश में लागू करने के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के कारण विधेयक बनाने की तैयारी मंद पड़ गई थी, इसे अब गति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। जल्द ही समिति का गठन होगा, जो उत्तराखंड के कानून का अध्ययन करके रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करेगी। इसके आधार पर विधेयक का प्रारूप तैयार करके विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा।
डाॅ. मोहन यादव भी मुख्यमंत्री बनने के बाद समान नागरिक संहिता को लेकर स्पष्ट कर चुके हैं कि जैसा केंद्र सरकार कहेगी मध्य प्रदेश में वैसा ही करेंगे। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 26 अप्रैल को गुना संसदीय क्षेत्र में रैली के दौरान कहा था कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार देश में यूसीसी लागू करेगी क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी है।
यह है समान नागरिक संहिता
यूसीसी को भारत के संविधान में अनुच्छेद-44 के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि इसका अर्थ है एक देश-एक नियम। यूसीसी धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों का एक सेट रखती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हैं। यूसीसी कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करती है, जो भारत के सभी नागरिकों पर विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार के संबंध में लागू होती है। ये कानून भारत के नागरिकों पर धर्म और लिंग रुझान के बावजूद लागू होते हैं।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता अधिनियम के रूप में अधिसूचित
उत्तराखंड विधानसभा से पारित समान नागरिक संहिता विधेयक ने अब कानून का रूप ले लिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के इस विधेयक को मंजूरी देने के बाद सरकार ने इसे अधिनियम के रूप में अधिसूचित कर दिया है। यह कानून उस दिन से लागू होगा जब सरकार इसकी अधिसूचना जारी करेगी। सरकार ने इसकी नियमावली बनाने के लिए समिति का गठन किया है जो इस पर कार्य कर रही है। संहिता में मुख्य रूप से महिला अधिकारों के संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। इसे चार खंडों, यानी विवाह और विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध (लिव-इन रिलेशनशिप) और विविध में विभाजित किया गया है।