नर्मदा नदी में मिल रहा नाले का गंदा पानी, कागजी साबित हो रहे प्रदूषण मुक्त के दावे
मध्य प्रदेश की जीवन दायिनी मां नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास करने का दावा कर रही है, लेकिन यह दावे कागजी साबित हो रहे हैं। नर्मदा जल में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। नर्मदा के पवित्र जल में नालों का गंदा पानी मिलने का सिलसिला जारी है। पिछले दो दिनों से हो रही वर्षा से शनिचरा वार्ड स्थित नाले में पानी आ गया यही पानी नर्मदा जल में मिल रहा है।
पर्यटन घाट पर गंदा पानी जमा होने से गंदगी भी फैल गई है, जिसके चलते इस घाट पर श्रद्धालु भी नहीं पहुंच रहे हैं। स्थानीय लोग भी यहां पर नहीं आ रहे हैं। कोरीघाट व सेठानीघाट के बीचों बीच स्थित पर्यटन घाट के सुंदरीकरण के लिए लाखों रुपये नगर पालिका की ओर खर्च किये जा चुके हैं। नाले के गंदे पानी को रोकने की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। पंप हाउस के बाजू से ही नाला बह रहा है जिससे शहर का गंदा पानी सीधे नर्मदाजल में मिल रहा है।
15 करोड़ से होगा नालों का निर्माण
नर्मदा जयंती के अवसर पर प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 15 करोड़ से नाले निर्माण की घोषणा की है। सरकार का दावा है कि नाले निर्माण होने से नर्मदा नदी में गंदा पानी नहीं मिलेगा। वहीं जानकारों का कहना है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को जब तक पूरा नहीं किया जाएगा तब तक नालों का गंदा पानी मिलता रहेगा। एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी कई सालों में पूरा नहीं हो सका है।
चुनावों में रहता है अहम विषय
नर्मदा जल को प्रदूषण से मुक्त करने का विषय सबसे अहम माना जाता रहा है। राजनीतिक दल भी अपने घोषणा पत्रों में इसका उल्लेख करते हैं, लेकिन चुनावों के बाद इस विषय को भूल जाते हैं। नर्मदा जल में हो रहे प्रदूष्ण को दूर करने के लिए 2018 में भी घोषणा की गई थी, लेकिन इस पर भी कोई काम नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि सेठानीघाट से गाद निकालने का काम जोरशोर से किया गया था, लेकिन कंपनी का टेंडर खत्म होने के बाद काम फिर रूक गया। सेठानीघाट से लेकर पर्यटन घाट तक बेतहाशा गाद अब भी जमी हुई है जो श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।
जलीय जीव जंतुओं ने छोड़ा किनारा
नर्मदापुरम के घाटों पर नर्मदा जल किनारे पर ही सबसे ज्यादा प्रदूषित है। शहर के सेठानीघाट, पर्यटन घाट, कोरीघाट, विवेकानंद घाट पर किनारे पर ही बेतहाशा गंदगी है। जिसके चलते जलीय जीव जंतुओं ने किनारा छाेड़ दिया है। जानकारों के मुताबिक गंदगी होने से घुलित आक्सीजन की कमी होने के कारण जलीय जीव जंतु किनारे पर नहीं रहते हैं। श्रद्धालु प्रसाद व अन्य सामग्री विसर्जित करते हैं वह भी किनारे पर जमा होती है, यहीं पर मछलियां जमा होती हैं।