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नए पायलट कहाँ से आएंगे? विमान चलाने के लिए फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों के पास गैस की कमी

देश का एविएशन सेक्टर इस समय गहरे संकट में है। पे स्ट्रक्चर और रोस्टरिंग के मुद्दे पर बड़ी संख्या में पायलट सिक लीव पर जा रहे हैं। लेकिन नए पायलटों की ट्रेनिंग भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसकी वजह यह है कि फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों के पास एवगैस की पर्याप्त सप्लाई नहीं है।

एविएशन सेक्टर के लिए पीक सीजन शुरू हो चुका है लेकिन एयरलाइन इंडस्ट्री इस समय कई तरह की समस्याओं से जूझ रही है। इससे आने वाले दिनों में देश में हवाई किराये आसमान पर पहुंच सकता है। इसकी वजह यह है कि पैसेंजर्स की डिमांड के मुताबिक फ्लाइट्स नहीं मिल पा रही है। पायलट जरूरत से ज्यादा काम का हवाला देकर रोस्टरिंग पर सवाल उठा रहे हैं। इस कारण टाटा ग्रुप की एयरलाइन विस्तारा को अपनी फ्लाइट्स की संख्या में कटौती करनी पड़ रही है। इस बीच देश में नए पायलटों की ट्रेनिंग भी प्रभावित हुई है। बिजनसलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल पिछले चार हफ्तों से एविएशन गैसोलीन यानी एवगैस की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। कमर्शयल एयरक्राफ्ट में एविएशन टर्बाइन फ्यूल की जरूरत होती है जबकि देश में 80 से 90 फीसदी ट्रेनर एयरक्राफ्ट्स में एवगैस का इस्तेमाल होता है।

यह गैस आईओसी (IOC) बनाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का कहना है कि वह अपने प्रॉडक्ट्स की परफॉरमेंस को विदेश में टेस्ट करती है। सर्टिफिकेट मिलने में देरी से सप्लाई बाधित हुई है। लेकिन दूसरी और फ्लाइंग स्कूल आईसीओ के इस तर्क से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो देश में नए पायलटों की सप्लाई की रफ्तार धीमी हो सकती है। ओडिशा में गवर्नमेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के एमडी जे ढिल्लों ने कहा कि पिछले एक महीने में एवगैस की सप्लाई हमारी जरूरत का करीब 10 फीसदी है। इससे हमारी फ्लाइंग में 10 से 20 फीसदी गिरावट आई है। हालत यह हो गई है कि शनिवार को हमें छुट्टी करनी पड़ी ताकि अपने लिमिटेड स्टॉक को बचाया जा सके। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में फ्लाइंग आधी रह सकती है।

देश में कितने फ्लाइंग स्कूल हैं

इस समय देश में डीजीसीए से मान्यता प्राप्त 34 फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल हैं। पिछले साल रेगुलेटर ने रेकॉर्ड 1562 लाइसेंस जारी किए थे। आईओसी ने एक बयान में कहा कि एवगैस से उत्पादन में कोई समस्या नहीं है। इसे ग्राहकों को सप्लाई करने से पहले विदेशों में इसकी टेस्टिंग की जाती है। हमें सर्टिफिकेशन रिपोर्ट का इंतजार है। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यह रिपोर्ट मिल जाएगी। हमारे पास इसकी पर्याप्त सप्लाई है और सर्टिफिकेशन मिलने के बाद तुरंत इसकी नॉर्मल सप्लाई चालू हो जाएगी। सितंबर 2022 से पहले देश में एवगैस का यूरोप से आयात किया जाता था। उसके बाद आईओसी ने वडोदरा रिफाइनरी में इसे बनाना शुरू किया था और अब इसका आयात नहीं करना पड़ता है।

Upendra Pandey

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