Autism Disorder: क्यों जरूरी है ऑटिज्म के लक्षणों की समय रहते पहचान और इलाज…एक्सपर्ट से जानिए

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरो बायोलॉजिकल स्थिति है, जो व्यक्ति के सामाजिक विकास और व्यवहार पर प्रभाव डालती है। यह एक ऐसा विकार है जो बच्चों से लेकर वयस्कों तक प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसका निदान समय पर किया जाए तो इसके उपचार में सहायता मिल सकती है और मरीज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
ऑटिज्म का प्रारंभिक निदान क्यों महत्वपूर्ण है जिसके बारे में बता रही हैं इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. रुचिरा पहारे, आइए जानते हैं
जानें ऑटिज्म के प्रारंभिक निदान के बारे में
ऑटिज्म का प्रारंभिक निदान तब होता है जब डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर किसी छोटे बच्चे में इस विकार के लक्षणों को पहचानते हैं, आमतौर पर 18 महीने से 2 साल की उम्र के बीच। इस उम्र में बच्चों का सामाजिक व्यवहार, भाषा का विकास, और पर्यावरण से तालमेल में कुछ अंतर दिखाई देने लगता है। प्रारंभिक निदान का मतलब है कि यह विकार उस स्टेज तक नहीं पहुंचा हो जब मरीज की स्थिति गंभीर हो तो उस दौरान उपचार शुरू किया जा सकता है।
ऑटिज्म के लक्षण
- सामाजिक संपर्क में कठिनाई, जैसे अन्य बच्चों के साथ खेल में रुचि की कमी।
- भाषा में देरी या कठिनाई, जैसे बोलने में कठिनाई होना या समझने में परेशानी होना।
- स्थिर और दोहराने की गतिविधियाँ, जैसे एक ही क्रिया बार-बार करना।
- संवेदनाओं की असामान्य प्रतिक्रियाएँ, जैसे हल्की आवाज़ों या प्रकाश पर तीव्र प्रतिक्रिया देना।
प्रारंभिक निदान के फायदे
- समय पर उपचार: ऑटिज्म का प्रारंभिक निदान करने से माता-पिता और डॉक्टर को जल्दी से उपचार शुरू करने का मौका मिलता है। इसमें विशेष शिक्षा, व्यवहार उपचार, और भाषा संबंधी चिकित्सा शामिल हो सकते हैं, जो बच्चे के सामाजिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
- विकास में सहायक: प्रारंभिक निदान के साथ शुरू किए गए उपचारों से बच्चों के सामाजिक और व्यावहारिक कौशल में सुधार देखा जा सकता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वह समाज में बेहतर तरीके से समाहित हो सकता है।
- शिक्षकों और परिवार के मार्गदर्शन में सहायक: प्रारंभिक निदान से परिवार और शिक्षकों को बच्चे की विशेष जरूरतों को समझने में मदद मिलती है। यह उन्हें बच्चे के लिए उपयुक्त शिक्षा विधियां और सामाजिक कौशल विकसित करने के लिए आवश्यक दिशा प्रदान करता है।
- लंबी अवधि में बेहतर परिणाम: जब बच्चे का इलाज शुरू से ही सही दिशा में होता है, तो उसके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार तेजी से हो सकता है और वह अपने जीवन में सामान्य गतिविधियों में हिस्सा ले सकता है। उदाहरण के लिए, सामाजिक संबंध स्थापित करना और स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव हो सकता है।