वैशाख की गर्मी से बाबा महाकाल को बचाने के उपाय शुरू, मिट्टी के कलशों से प्रवाहित होगी शीतल जलधारा

12 अप्रैल से शुरू होगा वैशाख मास
परंपरा अनुसार बांधी जाएगी गलंतिका
महाकाल को गर्मी से बचाने के उपाय
उज्जैन :– विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 12 अप्रैल से गलंतिका बांधी जाएगी। भगवान महाकाल के शीश मिट्टी के कलशों से शीतल जलधारा प्रवाहित होगी।
मंदिर की परंपरा में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक दो माह गलंतिका बांधने की परंपरा है। प्रतिदिन भस्म आरती के बाद सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाएगी।
वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से भीषण गर्मी की शुरुआत
पं.महेश पुजारी ने बताया, ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से भीषण गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने कालकूट विष का पान किया था।
गर्मी में विष की उष्णता अर्थात गर्मी और बढ़ जाती है। इसलिए भीषण गर्मी के दो माह वैशाख व ज्येष्ठ माह में गलंतिका बांधने का विधान है। भगवान के शीश मिट्टी के कलशों से दिनभर शीतल जल धारा प्रवाहित की जाती है। इससे शिव प्रसन्न होते हैं तथा जगत का कल्याण करते हैं।
वैशाख में पुण्य कमाने का बड़ा मौका
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि वैशाख मास में शिव मंदिरों में भगवान शिव की प्रसन्नता व उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए गलंतिका बांधने का विशेष महत्व है। वैशाख में भगवान विष्णु को चंदन का लेपन तथा तुलसीजी को जल अर्पण का विधान है।
इस माह में प्याऊ लगाना, पशु व पक्षियों के लिए दाना पानी, चारे आदि का इंतजाम करने से वाजपेयी यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है।
तीर्थ स्नान का मास पर्यंत फल
मान्यताओं में अलग-अलग तीर्थ पर अलग-अलग प्रकार के कल्पवास की महत्ता बताई गई है। कल्पवास ना हो सके तो प्रतिदिन या नित्य स्थानीय तीर्थ पर स्नान करके भगवान का पूजन पाठ करना चाहिए। तत्पश्चात पितरों के निमित्त जल चढ़ाना चाहिए या तर्पण करना चाहिए तर्पण न कर सके तो पीपल के वृक्ष पर तांबे के कलश में जल भरकर के चढ़ाना चाहिए। यह करने से भी पितरों की तृप्ति होती है।
चौरासी महादेव के पूजन का विधान
वैशाख मास में अवंतिका तीर्थ में विद्यमान चौरासी महादेव के जलाभिषेक का विधान है। मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर पिशाच मौचन तीर्थ तथा समीप स्थित मंदिर में चौरासी व बारह ज्योतिर्लिंग की शीला पर जल अर्पण कर पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। भगवान विष्णु को चंदन तथा विभिन्न सुगंधित पुष्प अर्पित करने से वे अधिक प्रसन्न होते हैं। विष्णु के जलाधिवास का भी महत्व है। वैशाख में भगवान विष्णु को चंदन अर्पित करने से जिन के विवाह में बाधा आ रही है, उनके विवाह के शीघ्र योग बनते हैं।
वैशाख में यह पर्व त्योहार प्रमुख-
12 अप्रैल- वैशाख स्नान आरंभ तथा गलंतिका बंधन।
23 अप्रैल- उज्जैन की पंचकोशी यात्रा आरंभ होगी।
24 अप्रैल- वरुथिनी एकादशी व्रत।
27 अप्रैल- वैशाख अमावस्या तथा पंचकोसी यात्रा पूर्ण।
30 अप्रैल- अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती।
11 मई- वैशाख चतुर्दशी नृसिंह जयंती।
12 मई- वैशाख पूर्णिमा, गौतम बुद्ध जयंती।