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दवाइयों के साइड इफेक्ट से हो रहा एसजे सिंड्रोम, इंदौर के एमवाय अस्पताल में मिल रहा उपचार

इंदौर- अत्यंत दुर्लभ और गंभीर त्वचा विकार स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम (एसजेएस) बीमारी मिर्गी, एचआईवी और दर्द निवारक दवाइयों के साइड इफेक्ट से होती है। समय पर इसकी पहचान नहीं होती है तो मरीज की स्थित गंभीर हो जाती है। कई मामलों में मरीज की मौत भी हो सकती है।

एमवाय अस्पताल के चर्म रोग विभाग में सिंड्रोम से पीड़ित मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिन्हें बेहतर उपचार की सुविधा मिल रही है। एमवायएच में 10 वर्ष से लेकर युवा अवस्था तक के मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। एक वर्ष में करीब 10 मरीज इस बीमारी से पीड़ित अस्पताल पहुंचे हैं। यह मरीज छोटे जिले और ग्रामीण क्षेत्र के हैं।

निजी अस्पताल में गंभीर स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों का आठ से 10 लाख रुपये खर्च आता है, लेकिन एमवायएच में यह निश्शुल्क सुविधा मिल रही है। बता दें कि 15 दिनों पूर्व ही शुजालपुर की रहने वाली 22 वर्षीय रितिका की इस बीमारी से मौत हुई थी। स्वजन शुरुआत में इसे त्वचा संबंधित बीमारी समझते रहे और स्थानीय स्तर पर भी इलाज करवाया था। एक माह तक इंदौर के निजी अस्पताल में भी उसका उपचार चला था।

केस एक
11 वर्षीय बालिका को दर्द निवारक दवाई के साइड इफेक्ट के कारण स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम हो गया था। उसके शरीर पर चकत्ते व फफोले उभरने लगे। पहले माता-पिता से झाबुआ जिले में ही उसका उपचार करवाया। आराम नहीं मिलने पर एमवायएच लेकर आए। यहां विशेषज्ञों ने बीमारी की पहचान की और इलाज शुरू किया। अब वह स्वस्थ है।

केस दो
धार के 25 वर्षीय युवक को मिर्गी की दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण यह बीमारी हो गई थी। पूरे शरीर पर घाव होने लग गए थे और चमड़ी निकल रही थी। आसपास के कई डाक्टर बीमारी को समझ ही नहीं पाए थे। एमवायएच में उसे भर्ती कर इलाज किया, अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।

केस तीन
सीहोर के 38 वर्षीय युवक के मुंह, हाथ, छाती सहित शरीर के सभी हिस्सों में लालपन आने लगा। जगह-जगह से उसकी चमड़ी निकलने लगी थी। मरीज की हालत इतनी गंभीर थी कि वह चल भी नहीं पा रहा था। स्वजन ने बताया था कि पांच दिन से यह समस्या है। इसके बाद उपचार से उसे आराम मिला। युवक को मिर्गी की दवाई के साइड इफेक्ट से सिंड्रोम हुआ था।

स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम बीमारी के लक्षण

शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिनमें बुखार, गले में खराश, खांसी व जोड़ों में दर्द शामिल है। कुछ दिनों बाद शरीर पर दर्दनाक लाल चकत्ते व फफोले उभरने लगते हैं। ये चकत्ते धूप में जली त्वचा या खुले घाव जैसे महसूस हो सकते हैं। रोग बढ़ने पर त्वचा का छिलना, होंठ, गले और चेहरे पर सूजन जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

त्वचा संबंधित समस्या हो तो विशेषज्ञों से संपर्क करें
स्टीवंस जानसन सिंड्रोम दुर्लभ और गंभीर त्वचा की बीमारी है। आमतौर पर दवाओं के रिएक्शन के कारण होती है। एमवाय अस्पताल में इससे पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। दर्द निवारक, मिर्गी की दवाई आदि के साइड इफेक्ट के कारण यह होती है। यदि किसी भी दर्द या अन्य दवा लेने के बाद त्वचा संबंधित समस्या होने लगे तो हमें विशेषज्ञों से संपर्क करना चाहिए। समय पर सही डॉक्टर से इसका इलाज लिया जाए तो मरीज स्वस्थ हो जाता है। – डॉ. राहुल नागर, चर्म रोग विशेषज्ञ

देरी से मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं
स्टीवंस जानसन सिंड्रोम दवाइयों के रिएक्शन के कारण होता है। दवाइयों का सेवन कई लोग करते हैं, लेकिन जिन लोगों की रिएक्शन के लिए आनुवांशिक प्रवृत्ति होती है। उन्हें यह होने की संभावना रहती है। सबसे अधिक युवा वर्ग इससे प्रभावित है। इसकी जांच लक्षणों को पहचानकर और लैब में जांच से होती है। बीमारी की पहचान प्रारंभिक स्तर पर करना आवश्यक होता है। देरी के कारण मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। – डॉ. संजय पंचोली, चर्म रोग विशेषज्ञ

Upendra Pandey

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