साइबर ठगों पर भारी पड़े भोपाल के बुजुर्ग प्राचार्य, 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट रहने के बाद दिखाई होशियारी, ठगी से बच गए
भोपाल :- राजधानी में एक निजी स्कूल के प्राचार्य और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की कोशिश का मामला सामने आया है। ठग ने कूरियर कंपनी का प्रतिनिधि बनकर प्राचार्य को फोन किया और पार्सल में ड्रग रखे होने की शिकायत की। प्राचार्य ने पार्सल के संबंध में जानकारी न होने की बात कही तो ठग ने फोन को दिल्ली साइबर क्राइम सेल के अफसरों को मिलाने का झांसा दिया। उसके बाद फर्जी पुलिस अधिकारियों ने उन्हें 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखा।
59 वर्षीय फर्रूख खान र्और उनकी पत्नी मारिया खान अपने परिवार के साथ कोहेफिजा में रहते हैं। फर्रूख कोहेफिजा एक निजी स्कूल में प्राचार्य हैं। शनिवार दोपहर ढ़ाई बजे उनके मोबाइल पर फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को डीएचएल कूरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताया था।
बैंक खातों की गलत जानकारी देने से बच गए
- आरोपी ने भेजे गए पार्सल में ड्रग होने की बात कही थी। साथ ही फर्रूख की बात को समझते हुए उसने कहा कि आपके आधारकार्ड का दुरुपयोग हुआ होगा, दिल्ली साइबर सेल से शिकायत कर दीजिए और सीधा फोन पुलिस अधिकारियों को मिलाने की बात कही।
- यहां पुलिस अधिकारी बने ठगों ने स्काइप पर वीडियो काल किया और फर्रूख व उनकी पत्नी को घर से बाहर न जाने का आदेश दिया। शाम को इन ठगों ने फर्रूख के बैंक खातों की जानकारी मांगी, लेकिन फर्रुख ने उन्हें गलत जानकारी दी। जिससे ठग बैंक खातों से रुपये नहीं निकाल पाए।
- उन्होंने रविवार शाम चार बजे तक ठगी का प्रयास किया। वहीं फर्रूख को शक हुआ तो उन्होंने टायलेट जाने के बहाने अपनी पत्नी के मोबाइल में डिजीटल अरेस्ट की खबर पढ़ी, जिसके बाद वापस लौटने पर उन्होंने अपना इंटरनेट बंद किया और साइबर क्राइम सेल पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाई।
बीते दस दिनों में डिजिटल अरेस्ट का तीसरा मामला
राजधानी में बीते दस दिनों में डिजिटल अरेस्ट का यह तीसरा मामला सामने आया है। गनीमत रही कि इनमें से किसी में ठग रुपये ऐंठने में सफल नहीं हो सके। इससे पहले नौ नवंबर को अरेरा कालोनी निवासी दुबई के कारोबारी विवेक ओबेराय को ठगों ने छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर तीन करोड़ रुपये ऐंठने का प्रयास किया था। वहीं मंगलवार को बजिरया निवासी टेलीकाम इंजीनियर प्रमोद को भी छह घंटे डिजिटल अरेस्ट कर साढ़े तीन लाख रुपये ठगों ने मांगे थे।
यहां सतर्कता ही बचाव है
सतर्क रहें, कोई भी सरकारी जांच एजेंसी फोन या वीडियो काल पर पूछताछ नहीं करती, डिजिटल अरेस्ट पूरी तरह धोखा है।
कोई भी निजी या वित्तीय जानकारी अनजान नंबर से आये फोन या वीडियो काल पर साझा न करें।
दबाव में पैसा हस्तांतरित न करें। सरकारी एजेंसियां कभी तुरंत जुर्माना भरने का आनलाइन दबाव नहीं बनातीं।
बिना डरे स्थानीय थाने, कंट्रोल रूम अथवा साइबर पुलिस से संपर्क करें उन्हें इसकी सूचना दें।